कोरोना यह वायरस, लगे मौत का द्वार ,
दूर रहो इससे सभी, कहता है संसार ।
कहता है संसार,यही सबको समझाओ ,
समझो मत यह खेल,हंसी में नहीं उड़ाओ ।
कहे विश्नोई यह,नहीं तुम धीरज खोना,
साहस से लो काम,भागे तभी कोरोना ।
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कोरोना वायरस से,बच सकती है जान ।
करो नमस्ते दूर से, रक्खो इतना ध्यान ।
***अशोक विश्नोई
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
भूल जाओ बंधु सारे
गिले शिकवों को अभी
रह नहीं सकते अकेले
हम ज़माने में कभी।
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एकता में ही छुपा है
हम सभी का हौसला
टूटकर बिखरे नअपने
प्यार का यह घौंसला
सोचकर आगे बढ़ोगे
मिलेगी मंज़िल तभी।
भूल जाओ----------
दूर होगी हर मुसीबत
जान लोगे एक दिन
साथचलनेकीहकीकत
मान लोगे एक दिन
साजिशें भी शर्तिया ही
हार मानेंगी जभी।
भूल जाओ-----------
आसमानी आंधियां हों
या जमीनी व्याधियां
सूक्ष्म जीवी वायरस से
हो रहीं बरबादियाँ
एक होंगे सभी इसकी
चेन टूटेगी तभी
भूल जाओ-----------
जिंदगी में एकता के
मंत्र का सम्मान हो
एकता पर ही हमारे
देश को अभिमान हो
फूट आपस की बनेगी
क्रूरतम अभिशाप भी।
भूल जाओ-----------
जाति धर्मों के मिटा दें
फासले मिलकर गले
घोर संकट की घड़ी में
मैल अंतस का धुले
तभीतो कल्याण होगा
चैन पाएंगे सभी।
भूल जाओ-----------
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वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद/उ,प्र,
9719275453
हे परम पिता हे करुणानिधि तुम शीघ्र धरा पर आ जाओ।
अब तड़फ रही मानव योनि तुम इसके कष्ट मिटा जाओ।।
दुनिया में हाहाकार मचा सब तेरी आस लगाए हैं। भारी विपदा आ गयी यहां दानव ने सभी सताए हैं।
अब चक्र हाथ में लेकर प्रभु दुश्मन के ऊपर छा जाओ।
हे परम पिता हे करुणानिधि तुम शीघ्र धरा पर आ जाओ
कुछ पाप कर्म हमने कीन्हे जिनका फल आगे आया है ।
हम भूल गये महिमा तेरी उसका ही प्रतिफल पाया है।।
हम जोड़ हाथ करें विनती इस कोरोना को जला जाओ ।
हे परम पिता हे करुणानिधि तुम शीघ्र धरा पर आ जाओ ।।
*** के० पी० सिंह 'सरल'
मिलन विहार
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
छुट्टी मिली सभी को ऐसी पहली-पहली बार
शुरू हुआ सबसे लंबा इक्किस दिन का इतवार
(1)
घर के भीतर ही रहना है बाहर कहीं न जाना
कोई नौकर - चाकर इन इक्कीस दिनों कब आना
खुद करने के लिए काम सब हो जाओ तैयार
शुरू हुआ सबसे लंबा इक्किस दिन का इतवार
(2)
कर लो घर की साफ-सफाई सीखो दाल बनाना
रोटी कैसे बेली जाती कैसे बनता खाना
कैसे धोते और सुखाते कपड़े करो विचार
शुरू हुआ सबसे लंबा इक्किस दिन का इतवार
(3)
महिलाओं को कुछ ज्यादा आराम दिलाना अच्छा
घर के कामों में पतियों का हाथ बँटाना अच्छा
एक साथ रहने - जीने का दें प्रभु को आभार
शुरू हुआ सबसे लंबा इक्किस दिन का इतवार
(4)
इस छुट्टी में नहीं किसी को पिकनिक कहीं मनाना
इस छुट्टी में नहीं किसी को होटल जाकर खाना
इस छुट्टी में बंद सिनेमा हॉल मॉल बाजार
शुरू हुआ सबसे लंबा इक्किस दिन का इतवार
(5)
सोचो दुनिया ने कब ऐसी बीमारी थी झेली
सारे यमदूतों पर भारी यह ही एक अकेली
घर के बाहर जो निकलेगा उसका बंटाधार
शुरू हुआ सबसे लंबा इक्किस दिन का इतवार
(6)
आमदनी सब बंद हो गई कैसे हँसे हँसाए
रुकी कमाई सब की आखिर बिना काम पर जाए
बटुए में सबके हैं पैसे गिनती के बस चार
शुरू हुआ सबसे लंबा इक्किस दिन का इतवार
(7)
जीवन का सौंदर्य परिश्रम - छुट्टी का शुभ नाता
छह दिन करके काम सातवाँ दिन छुट्टी का भाता
घर में बैठा लगातार कहलाता है बेकार
शुरू हुआ सबसे लंबा इक्किस दिन का इतवार
(8)
रखो तीन फुट तन की दूरी कोरोना मजबूरी
मन से मन की भेंट मौहल्ले की करना पर पूरी
दुखी पड़ोसी है तो समझो खुद को जिम्मेदार
शुरू हुआ सबसे लंबा इक्किस दिन का इतवार
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*** रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर
उत्तर प्रदेश , भारत
मोबाइल 999 7615 451
कोरोना कोई मज़ाक नहीं, भयंकर ये बीमारी है।
हर ओर फैला है ये तो, अब परेशां दुनिया सारी है।
इतने पर भी मेरे देश में, लोग नहीं दिखते गंभीर।
ऐसे में भी जागे हम ना, तो हम सब की मतमारी है।
कोरोना का इलाज नहीं है, सावधानी ही बचाव है।
सावधानी तुम बरतलो ज़्यादा, सबका यही सुझाव है।
फैल गया इसका संक्रमण, मुश्किल होगी बहुत हमें।
अपना लो तुम ठोस क़दम बस, मर्ज़ी का ये चुनाव है।
यह बात मैं सबसे कहता, मसखरी का यह दौर नहीं।
ऐसा लगता तुमको शायद, इस त्रासदी पर ग़ौर नहीं।
भयाभयता तुम कोरोना की, चीन ईरान इटली से पूछो।
चौकन्ने तुम रहो हमेशा, इलाज़ इसका कोई और नहीं।
जनता कर्फ्यू बेहतर उपाय, पीएम के तुम साथ चलो।
समझो इसको बोझ नहीं, हाथों में लेकर हाथ चलो।
कर्फ्यू से टूटेगी चेन, फिर कोरोना भी निश्चित हारेगा।
एका में अपार है ताक़त, मिलजुल कर बस साथ चलो।
उठो चलो आगे बढ़ जाओ, कोरोना को दूर भगाओ।
महाआपदा बीमारी को, देश में अपने मत ठहराओ।
सुरक्षित रहे देश मेरा बस, चाहत है मरग़ूब की ये तो।
रखो हौंसला और आगे तुम,बढ़ते जाओ बढ़ते जाओ।
**मरग़ूब हुसैन
गुलिस्तां हाउस
दानिशमंदान
अमरोहा
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 94125 87622
अजीब वक्त से वाबस्ता हैं इन दिनों
करने लगे हैं अपने ही लोगों से अलग रहने की दुआ ।
कल एक मित्र बड़ी मोहब्बत से
लिट्टी चोखा दे गए
जिसे उनकी मेम साहब ने बड़े जतन से पकाया था ।
यक़ीन मानिए वो ऐसे ही रखा रहा
कई बार सोचा खाऊं या न खाऊं ,
जबकि पहले उनके हाथ में की बनी चीज़ों का
बेसब्री से इन्तजार रहता था ।
मेरे घर का दरवाज़ा हमेशा खुला रहता था
मित्रों व अजनबियों के लिए भी ,
इन दिनों बंद ही रहता है ,
एक तो घंटी बजती ही नहीं
अगर घंटी बज भी गयी तो
दरवाज़ा खोलने के लिए
कदम आगे बढ़ते ही नहीं ।
और तो और , सौंदर्य बोध तेल लेने चला गया है
खूबसूरत चेहरा देख कर अब
होंठ सीटी बजाने के लिए गोल होते ही नहीं
दिमाग़ की तात्कालिक प्रतिक्रिया यही होती है
ये मास्क लगा कर निकले होते तो अच्छा होता ।
जो बच्चे गोदी में आने के लिए मचलते थे
उन्हें देख के मन करता है
दूर ही रहो तो बेहतर है ।
एक ही झटके में
चली गयी है रिश्तों की गरमाहट
सिमट गए हैं सभी रिश्ते एक फ़ोन काल तक ।
हम अपने बनाए हुए हैं
ऐसे टापू पर बैठ गए हैं
जहां न आती है कोई बस , रेल या कोई फ़्लाइट
हम हैं और साथ में लम्बी तन्हाई ।
कैसे वक्त से वाबस्ता हैं हम इन दिनों ।
** प्रदीप गुप्ता
B-1006 Mantri Serene
Mantri Park, Film City Road , Mumbai 400065
आओ सब मिल कर करें कोरोना पर वार
जीवन जीने का मिला सबको है अधिकार
सबको है अधिकार रखनी है सावधानी
घर में ही बस रहो बाहर न निकलो जानी
सजग नागरिक बनो आज सबको समझाओ
दूर रहकर सबसे करें अभिवादन आओ
** डॉ पूनम बंसल
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश , भारत
जब तक ढीली हो नहीं, कोरोना की पैठ।
सबसे अच्छा है यही, जमकर घर में बैठ।।
जमकर घर में बैठ, दिखा मत अब नादानी।
दे उनको भी बोल, बने हैं जो अज्ञानी।।
कहें 'प्रखर' कविराय, कसो सब खुद को तब तक।
जाये जग से भाग, नहीं यह दानव जब तक।।
**राजीव 'प्रखर'
डिप्टी गंज
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
हो जाएगी इक दिन देखो कोरोना की हार
गले मिलेगा इक दूजे से पूरा ये संसार
आज बनाता हम सबका ही आने वाला कल है
मानव को मिलता उसकी ही हर करनी का फल है
मांसाहार छोड़कर खाना है बस शाकाहार
हो जाएगी इक दिन देखो कोरोना की हार
बार बार अपने हाथों को रगड़ रगड़ कर धोना
जिम्मेदारी खूब निभाना लापरवाह मत होना
ऐसे ही इस महा असुर का करना है संहार
हो जाएगी इक दिन देखो कोरोना की हार
जनता कर्फ्यू का पालन हम सबको ही करना है
आगामी दुष्परिणामों से चेतन मन रहना है
बन्द घरों में रहने को अब होना है तैयार
हो जाएगी इक दिन देखो कोरोना की हार
सोच समझ कर देखभाल कर बस निर्णय लेना है
फैल रही इन अफवाहों पर कान नहीं देना है
कोरोना के हर प्रहार पर करो पलट कर वार
हो जाएगी इक दिन देखो कोरोना की हार
*************** गजल******************
मुफ्त में मिल गया है कोरोना
जान लेवा बना है कोरोना
विश्व का युद्ध अब छिड़ा कैसा
वार बम से बड़ा है कोरोना
जान ले लीं हज़ारों की इसने
दर्द ही दे रहा है कोरोना
ध्यान चेतावनी पे दो लोगो
छूने से फैलता है कोरोना
चलती साँसों का है बड़ा दुश्मन
लगता यमराज सा है कोरोना
'अर्चना' हो सभी अलग जाओ
अब इसी पर टिका है कोरोना
************कुंडली ************
घर की सीमा से नहीं, अपने कदम निकाल
कोरोना बन जाएगा, वरना तेरा काल
वरना तेरा काल,फैलता ये जायेगा
फिर इस पर कंट्रोल, न कोई कर पायेगा
लड़ें 'अर्चना' वीर, हमारे ज्यूँ सीमा पर
करना है वो काम, हमारी सीमा है घर
**डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
अमीरों की बीमारी ने छीन लिया
निवाला गरीबों का..
बुझ गये चूल्हे
रामधन और मुनिया के।
सोच रहे हैं.....
झोंपड़ी के तिनको को
शायद सैनिटाइज़
करने की ज़रूरत तो नहीं ...।
देहातियों को हिकारत से देखने वाले
बड़े लोग...
रखे जा रहे हैं
एकांतवास में..
समाज से पृथक,
क्योंकि... वो ऊँचे लोग हैं।
उन्हें प्रारम्भ से ही अकेला पन भाता
आया है।
अब लौट रहे है
वतन को
विदेश से...,
क्या वतन की याद आयी है
या कुछ और है....?
वातानुकूलित कमरों में रहने वाले
अचानक ही चाहने लगे
तपती जेठ की दुपहरियां
गँवार लोग सहमे हैं
पूछते हैं वैद्य जी से,
"ई अमीरों का खाँसी जुकाम भी
अलग होत है का?"
खेतों में हल चलाता बुधिया पूछता है..
"ई ढोरों से दूर कैसन रहत बा...?
निशब्दः समाज..!!!
नाइट क्लबों में देर रात तक जागते युगल
अब कहाँ है?
सम्भवतः अनुशासन में रहेंगे कुछ देर के लिये,
जब तक महामृत्यु का तांडव चलेगा...!!
काँपती धरती...
विदीर्ण होते शरीर
आज शायद प्रकृति अपने आवरण से हटा रही है
दूषित तन और मन
सम्भवतः चाहती है करना
स्वयं को सैनिटाइज़....!!!!
***मीनाक्षी ठाकुर
मिलन विहार
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत