शनिवार, 28 मार्च 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विश्नोई की कुंडली --कोरोना यह वायरस, लगे मौत का द्वार , दूर रहो इससे सभी, कहता है संसार ।....


कोरोना यह वायरस, लगे मौत का द्वार ,
दूर रहो इससे सभी, कहता है संसार ।
कहता है संसार,यही सबको समझाओ ,
समझो मत यह खेल,हंसी में नहीं उड़ाओ ।
कहे विश्नोई यह,नहीं तुम धीरज खोना,
साहस से लो काम,भागे तभी कोरोना ।
          ---------💐💐--------- 

कोरोना वायरस से,बच सकती है जान ।
करो नमस्ते दूर से, रक्खो इतना ध्यान  ।

***अशोक विश्नोई
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार प्रीति चौधरी की रचना -- हमको अब न सताओ तुम कोरोना अब मान जाओ तुम


कोरोना अब मान जाओ तुमहाथ जोड़े खड़े हुए है
माफ़ी तुमसे माँग रहे है
शांत अब हो जाओ तुम
कोरोना अब मान जाओ तुम

माना ग़लती हुई थी हमसे
दूरियाँ रिश्तों में फैली थी कबसे
दूर हो गए अब गले शिकवे
हमको अब न सताओ तुम
कोरोना अब मान जाओ तुम

घर क्या है सब भूल गए थे
मोहमाया में डूब गए थे
रुक गए अब जो दौड़ रहे थे
जहाँ हो अब ठहर जाओ तुम
कोरोना अब मान जाओ तुम

माफ़ कर दो हमें एक बार
सबक़ मिला हमें इस बार
घरवालों से ही है घरबार
निवेदन है अब जाओ  तुम
कोरोना अब मान जाओ तुम

*** प्रीति चौधरी
फ्रेंड्स कालोनी
गजरौला, अमरोहा
मोबाइल फोन नम्बर- 9634395599

साहित्यिक मुरादाबाद के संदर्भ में दैनिक जागरण मुरादाबाद संस्करण के 28 मार्च 2020 के अंक में प्रकाशित

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मुरादाबाद के प्रख्यात रंगकर्मी, चित्रकार, साहित्यकार स्मृतिशेष डॉ ज्ञान प्रकाश सोती जी की एक रचना । यह दुर्लभ रचना पी एल रस्तोगी इंटर कालेज मुरादाबाद की वार्षिक पत्रिका कल्पना (1961-62) में प्रकाशित हुई थी ।







शुक्रवार, 27 मार्च 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ रीता सिंह के दो गीत


मुरादाबाद के साहित्यकार शिव अवतार रस्तोगी सरस की रचना --घातक रोग महा कोरोना ऐसा रोग किसी को हो ना।....



घातक रोग महा कोरोना
ऐसा रोग किसी को हो ना।
आंख नाक मुंह रखें बचाकर
नजला, खांसी कभी न होना।1.

इक्किस दिन घर अंदर रहना।
गली सड़क पर पैर न धरना।
लक्ष्मण रेखा खिंची हुई है,
अंदर ही सुख दुख सब सहना।2.

रखें परस्पर हम सब दूरी।
बस, कुछ दिन की है मजबूरी।
स्वयं  वायरस,  मर जाएंगे
मगर   सुरक्षा   रक्खें पूरी।3.

रोग भयानक घिर कर आया
अखिल विश्व में यह मंडराया।
अभी नहीं उपचार मिला है
हर कोई इससे घबराया ।।4.

मिले न संयम बिना सुरक्षा।
आत्म- नियंत्रण सबसे अच्छा।
अलग -थलग हम रहें स्वयं ही
तब ही संभव सबकी रक्षा ।5.

कदम तीसरा पड़े कभी ना।
वरना ,मुश्किल होगा जीना ।
महाप्रलय का दृश्य  उपस्थित
सोच- सोच आ रहा पसीना।6.,

 *** शिव अवतार रस्तोगी सरस
        मुरादाबाद 244001
        उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद के साहित्यकार (वर्तमान में गाजियाबाद) डॉ कुंअर बेचैन की गजल --फूल को खार बनाने पर तुली है दुनिया ....


मुरादाबाद के साहित्यकार वीरेंद्र सिंह बृजवासी का गीत ---आसमानी आंधियां हों या जमीनी व्याधियां सूक्ष्म जीवी वायरस से हो रहीं बरबादियाँ एक होंगे सभी इसकी चेन टूटेगी तभी....

भूल  जाओ  बंधु  सारे
गिले शिकवों को अभी
रह नहीं सकते अकेले
हम  ज़माने  में  कभी।
        -----------
एकता  में ही  छुपा है
हम सभी का  हौसला
टूटकर बिखरे नअपने
प्यार  का यह घौंसला
सोचकर आगे  बढ़ोगे
मिलेगी  मंज़िल तभी।
भूल जाओ----------

दूर होगी  हर मुसीबत
जान  लोगे  एक  दिन
साथचलनेकीहकीकत
मान  लोगे  एक   दिन
साजिशें भी शर्तिया ही
हार     मानेंगी    जभी।
भूल जाओ-----------

आसमानी आंधियां हों
या  जमीनी   व्याधियां
सूक्ष्म जीवी वायरस से
हो     रहीं   बरबादियाँ
एक होंगे  सभी इसकी
चेन     टूटेगी      तभी
भूल जाओ-----------

जिंदगी  में  एकता  के
मंत्र   का  सम्मान   हो
एकता  पर  ही  हमारे
देश को अभिमान  हो
फूट आपस की बनेगी
क्रूरतम  अभिशाप भी।
भूल जाओ-----------

जाति धर्मों के मिटा दें
फासले  मिलकर  गले
घोर संकट की घड़ी में
मैल  अंतस  का   धुले
तभीतो कल्याण होगा
चैन     पाएंगे     सभी।
भूल जाओ-----------
        💐💐💐
         
            वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी
               मुरादाबाद/उ,प्र,
               9719275453
        

मुरादाबाद के साहित्यकार केपी सिंह सरल की रचना --हे परम पिता हे करुणा निधि तुम शीघ्र धरा पर आ जाओ

हे परम पिता हे करुणानिधि तुम शीघ्र धरा पर आ जाओ।           
अब तड़फ रही मानव योनि तुम इसके कष्ट मिटा जाओ।।

दुनिया में हाहाकार मचा सब तेरी आस लगाए हैं।  भारी विपदा आ गयी यहां दानव ने सभी सताए हैं।
अब चक्र हाथ में लेकर प्रभु दुश्मन के ऊपर छा जाओ। 
हे परम पिता हे करुणानिधि तुम शीघ्र धरा पर आ जाओ     

कुछ पाप कर्म हमने कीन्हे जिनका फल आगे आया है  ।             
हम भूल गये महिमा तेरी  उसका ही प्रतिफल पाया है।।                 
हम जोड़ हाथ करें विनती इस कोरोना को जला जाओ ।                   
हे परम पिता हे करुणानिधि तुम शीघ्र धरा पर आ जाओ ।।         

*** के० पी० सिंह 'सरल'       
मिलन विहार
 मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद के साहित्यकार आदर्श भटनागर का गीत -- एक-एक मीटर की दूरी से रहो दूर से बात करो देखो भीड़ न लगने पाए यहां वहां इस देश में

कोरोना  का   खतरा  देखो
मंडरा    रहा    है   देश   में
बार-बार  धो हाथ,  रहो घर
कहीं   ना  जाओ   देश   में

सेनीटाइज  रखो  हाथ को
कहीं से आओ नहाओ तुम
सावधान हो  अफवाहों  से
रहो    सुरक्षित    देश    में

एक-एक मीटर  की दूरी से 
रहो   दूर   से    बात   करो
देखो  भीड़  न  लगने  पाए
यहां   वहां    इस   देश   में

देखो नियम से रह लो भाई
कहा   सुनो   सरकार   का
सुनो डॉक्टर क्या कहते हैं
भटको    नाही    देश    में

बार-बार  आदर्श   सुझाये
बात   पते  की   ही करता 
जगो जगाओ सबको भाई
रहो    सुरक्षित    देश    में

     ** आदर्श भटनागर
          मुरादाबाद 244001
          उत्तर प्रदेश, भारत
     
         

गुरुवार, 26 मार्च 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ राकेश चक्र के दोहे --योग, सैर अपनाइये, तन-मन रहे निरोग। संस्कृति अपनी ही भली, कहते आए लोग।।

*कोरोना के चक्र में, फँसा सकल संसार।
मानव के दुष्कृत्य से, विपदा अपरंपार।।

*हर कोई भयभीत है, मान रहा अब हार।
कार कोठियां रह गईं, धन सारा बेकार।

*चमत्कार विज्ञान के, हुए सभी निर्मूल।
जान बूझकर ये मनुज, करता जाए भूल।।

*बड़े-बड़े योद्धा डरे, कोरोना को देख।
पर मानव सुधरे नहीं, लिखे प्रलय का लेख।।

*धन-दौलत की चाह में, करे प्रकृति को क्रुद्ध।
दोहन अतिशय ये करें, करता नियम विरुद्ध।।

*मुश्किल में अब जान है ,घर में ही सब कैद।
बलशाली भी डर गए,डरे चिकित्सक वैद।।

*अभी समय है चेत जा, तज दे तू अज्ञान।
काँधा देने के लिए, मिलें नहीं इंसान।।

*भौतिक सुख सुविधा नहीं, अपने भव की सोच।
फास्टफूड ही कर रहा , लगी सोच में मोच।।

*शाकाहारी भोज में , मिलता है आनन्द।
चाइनीज भोजन करे, सबकी मति है मन्द।।

*योग, सैर अपनाइये, तन-मन रहे निरोग।
संस्कृति अपनी ही भली, कहते आए लोग।।

*श्रम करने से ही सदा , तन का अच्छा हाल।
आलस मोटा कर रहा, बने स्वयं  का काल।।

*व्यसनों में है आदमी, झूठा चाहे चैन।
मन भी बस में है नहीं, भाग रहा दिन रैन।।


***डॉ राकेश चक्र
90 बी
शिवपुरी
मुरादाबाद 244001
उ.प्र . भारत
मोबाइल फोन नंबर 9456201857
Rakeshchakra00@gmail.com

मुरादाबाद मंडल के जनपद बिजनौर निवासी डॉ गिरिराज शरण अग्रवाल की कविता --


मुरादाबाद के समाजसेवी सरदार गुरविंदर सिंह की रचना -- यह दिन भी कट जाएंगे, काले बादल छंट जाएंगे ....क्लिक कीजिए 👇👇👇👇👇👇👇.


मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रवि प्रकाश का गीत -घर के बाहर जो निकलेगा उसका बंटाधार शुरू हुआ सबसे लंबा इक्किस दिन का इतवार




छुट्टी  मिली  सभी  को ऐसी पहली-पहली बार
शुरू हुआ सबसे लंबा इक्किस दिन का इतवार
                          (1)
घर  के  भीतर ही रहना है बाहर कहीं न जाना
कोई नौकर - चाकर इन इक्कीस दिनों कब आना
खुद  करने के लिए काम सब हो जाओ तैयार
शुरू हुआ सबसे लंबा इक्किस दिन का इतवार
                           (2)
कर लो घर की साफ-सफाई सीखो दाल बनाना
रोटी  कैसे  बेली  जाती  कैसे  बनता  खाना
कैसे धोते और सुखाते कपड़े करो विचार
शुरू हुआ सबसे लंबा इक्किस दिन का इतवार
                          (3)
महिलाओं को कुछ ज्यादा आराम दिलाना अच्छा
घर के कामों में पतियों का हाथ बँटाना अच्छा
एक साथ रहने - जीने का दें प्रभु को आभार
शुरू हुआ सबसे लंबा इक्किस दिन का इतवार
                            (4)
इस छुट्टी में नहीं किसी को पिकनिक कहीं मनाना
इस छुट्टी में नहीं किसी को होटल जाकर खाना
इस छुट्टी में बंद सिनेमा हॉल मॉल बाजार
शुरू हुआ सबसे लंबा इक्किस दिन का इतवार
                         (5)
सोचो दुनिया ने कब ऐसी बीमारी थी झेली
सारे यमदूतों पर भारी यह ही एक अकेली
घर के बाहर जो निकलेगा उसका बंटाधार
शुरू हुआ सबसे लंबा इक्किस दिन का इतवार
                            (6)
आमदनी सब बंद हो गई कैसे हँसे हँसाए
रुकी कमाई सब की आखिर बिना काम पर जाए
बटुए में सबके हैं पैसे गिनती के बस चार
शुरू हुआ सबसे लंबा इक्किस दिन का इतवार
                         (7)
जीवन का सौंदर्य परिश्रम - छुट्टी का शुभ नाता
छह दिन करके काम सातवाँ दिन छुट्टी का भाता
 घर में बैठा लगातार कहलाता है बेकार
 शुरू हुआ सबसे लंबा इक्किस दिन का इतवार
                           (8)
रखो तीन फुट तन की दूरी कोरोना मजबूरी
मन से मन की भेंट मौहल्ले की करना पर पूरी
दुखी पड़ोसी है तो समझो खुद को जिम्मेदार
शुरू हुआ सबसे लंबा इक्किस दिन का इतवार
----------------------------------------------
 *** रवि प्रकाश
 बाजार सर्राफा
 रामपुर
उत्तर प्रदेश ,  भारत
मोबाइल 999 7615 451

बुधवार, 25 मार्च 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार अमितोष शर्मा की गजल --बेवजह घर से निकलने की ज़रूरत क्या है | मौत से आंख मिलाने की ज़रूरत क्या है |।

बेवजह घर से निकलने की ज़रूरत क्या है |
मौत से आंख मिलाने की ज़रूरत क्या है |

सबको मालूम है बाहर की हवा है क़ातिल |
यूँ ही क़ातिल से उलझने की ज़रूरत क्या है ||

ज़िन्दगी एक नियामत, इसे सम्हाल के रख |
क़ब्रगाहों को सजाने की ज़रूरत क्या है ||

दिल बहलने के लिए घर मे वजह हैँ काफ़ी |
यूँ ही गलियों मे भटकने की ज़रूरत क्या है ||

मुस्कुराकर, आंख झुकना भी अदब होता है |
हाथ से हाथ मिलाने की ज़रूरत क्या है ||

लोग जब हाथ मिलाते हुए कतराते हों |
ऐसे रिश्तों को निभाने की ज़रूरत क्या है ||

अमितोष शर्मा ग़ज़ल

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ अर्चना गुप्ता का गीत -- हो जाएगी इक दिन देखो कोरोना की हार


मुरादाबाद की साहित्यकार पूनम गुप्ता की रचना --


मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा निवासी साहित्यकार मरगूब हुसैन की रचना -- कोरोना का इलाज नहीं है, सावधानी ही बचाव है



कोरोना कोई मज़ाक नहीं, भयंकर ये बीमारी है।
हर ओर फैला है ये तो, अब परेशां दुनिया सारी है।
इतने पर भी मेरे देश में, लोग नहीं दिखते गंभीर।
ऐसे में भी जागे हम ना, तो हम सब की मतमारी है।


कोरोना का इलाज नहीं है, सावधानी ही बचाव है।
सावधानी तुम बरतलो ज़्यादा, सबका यही सुझाव है।
फैल गया इसका संक्रमण, मुश्किल होगी बहुत हमें।
अपना लो तुम ठोस क़दम बस, मर्ज़ी का ये चुनाव है।


यह बात मैं सबसे कहता, मसखरी का यह दौर नहीं।
ऐसा लगता तुमको शायद, इस त्रासदी पर ग़ौर नहीं।
भयाभयता तुम कोरोना की, चीन ईरान इटली से पूछो।
चौकन्ने तुम रहो हमेशा, इलाज़ इसका कोई और नहीं।


जनता कर्फ्यू बेहतर उपाय, पीएम के तुम साथ चलो।
समझो इसको बोझ नहीं,  हाथों में लेकर हाथ चलो।
कर्फ्यू से टूटेगी चेन, फिर कोरोना भी निश्चित हारेगा।
एका में अपार है ताक़त, मिलजुल कर बस साथ चलो।


उठो चलो आगे बढ़ जाओ, कोरोना को दूर भगाओ।
महाआपदा बीमारी को, देश में अपने मत ठहराओ।
सुरक्षित रहे देश मेरा बस, चाहत है मरग़ूब की ये तो।
रखो हौंसला और आगे तुम,बढ़ते जाओ बढ़ते जाओ।

**मरग़ूब हुसैन
 गुलिस्तां हाउस
 दानिशमंदान
अमरोहा
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 94125 87622

मंगलवार, 24 मार्च 2020

मुरादाबाद के ( वर्तमान में मुंबई ) साहित्यकार प्रदीप गुप्ता की कविता -- अजीब वक्त से वाबस्ता हैं हम



अजीब वक्त से वाबस्ता हैं इन दिनों     
करने लगे हैं अपने ही लोगों से अलग रहने की दुआ ।       
कल एक मित्र बड़ी मोहब्बत से   
लिट्टी चोखा दे गए 
जिसे उनकी मेम साहब ने बड़े जतन से पकाया था  ।       
यक़ीन मानिए वो ऐसे ही रखा रहा     
कई बार सोचा खाऊं या न खाऊं ,     
जबकि पहले उनके हाथ में की बनी चीज़ों का     
बेसब्री से इन्तजार रहता था  ।   
मेरे घर का दरवाज़ा हमेशा खुला रहता था       
मित्रों व अजनबियों के लिए भी  ,     
इन दिनों बंद ही रहता है  ,     
एक तो घंटी बजती ही नहीं   
अगर घंटी बज भी गयी तो   
दरवाज़ा खोलने के लिए 
कदम आगे बढ़ते ही नहीं  । 
और तो और  ,  सौंदर्य बोध तेल लेने चला गया है       
खूबसूरत चेहरा देख कर अब   
होंठ सीटी बजाने के लिए गोल होते ही नहीं       
दिमाग़ की तात्कालिक प्रतिक्रिया यही होती है     
ये मास्क लगा कर निकले होते तो अच्छा होता  ।       
जो बच्चे गोदी में आने के लिए मचलते थे       
उन्हें देख के मन करता है   
दूर ही रहो तो बेहतर है ।   
एक ही झटके में 
चली गयी है रिश्तों की गरमाहट   
सिमट गए हैं सभी रिश्ते एक फ़ोन काल तक ।         
हम अपने बनाए हुए हैं 
ऐसे टापू पर बैठ गए हैं   
जहां न आती है कोई बस ,  रेल या कोई फ़्लाइट       
हम हैं और साथ में लम्बी तन्हाई  ।   
कैसे वक्त से वाबस्ता हैं हम इन दिनों ।     

** प्रदीप गुप्ता
 B-1006 Mantri Serene
 Mantri Park, Film City Road ,   Mumbai 400065

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार ओंकार सिंह विवेक के दोहे --- भीड़ रोकने में करें , शासन का सहयोग। वरना बढ़ता ही यहाँ , जायेगा यह रोग। --


संकट  के इस काल में ,  माने   यह  दस्तूर।
हाथ  मिलाने  से  हमें , रहना  है  अब दूर।।

मेलजोल  में इन दिनों , संयम  से  लें  काम।
'कोरोना' पर लग सके,जिससे शीघ्र विराम।।

भीड़  रोकने  में  करें , शासन  का  सहयोग।
वरना  बढ़ता  ही   यहाँ , जायेगा  यह  रोग।।

साफ़ सफ़ाई कीजिए,रखिए खुद को क्लीन।
डर   जायेगा  आपसे  ,  'कोविड नाइन्टीन'।।

साहस रख  संघर्ष को,रहते जो   तैयार।
 हर  विपदा -बाधा सदा ,माने उनसे   हार ।।

सावधान  रहकर  सतत , इस संकट में आप।
अपने  अपने  इष्ट  का , करते  रहिए  जाप।।
     

***ओंकार सिंह विवेक
       रामपुर-उ0प्र0
      मोबाइल फोन नंबर 9897214710

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ पूनम बंसल की कुंडली --सजग नागरिक बनो आज सबको समझाओ दूर रहकर सबसे करें अभिवादन आओ

आओ सब मिल कर करें कोरोना पर वार
जीवन जीने का मिला सबको है अधिकार
सबको है अधिकार रखनी है सावधानी
घर में ही बस रहो बाहर न निकलो जानी
सजग नागरिक बनो आज सबको समझाओ
दूर रहकर सबसे करें अभिवादन आओ

**  डॉ पूनम बंसल
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश , भारत


मुरादाबाद के साहित्यकार राजीव प्रखर की रचना --जब तक ढीली हो नहीं, कोरोना की पैठ। सबसे अच्छा है यही, जमकर घर में बैठ।।

जब तक ढीली हो नहीं, कोरोना की पैठ।
सबसे अच्छा है यही, जमकर घर में बैठ।।
जमकर घर में बैठ, दिखा मत अब नादानी।
दे उनको भी बोल, बने हैं जो अज्ञानी।।
कहें 'प्रखर' कविराय, कसो सब खुद को तब तक।
जाये जग से भाग, नहीं यह दानव जब तक।।

**राजीव 'प्रखर'
डिप्टी गंज
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत


मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा निवासी साहित्यकार मुजाहिद चौधरी की गजल -- गर प्यार है खुद से तो ज़रा दूर रहो सबसे । वो मौत बुलाने में तकल्लुफ भी नहीं करता






दस्तक नहीं देता वो इशारा भी नहीं करता ।
शातिर है बड़ा आने की खबर भी नहीं करता ।।

आ जाता है खामोशी से वो मेरे बदन में ।
फिर छोड़के जाने का इरादा भी नहीं करता ।।

हो जाए खबर कोई तो तूफान मचे है ।
फिर अपनों से मिलना वो गवारा भी नहीं करता ।।

गर प्यार है खुद से तो ज़रा दूर रहो सबसे ।
वो मौत बुलाने में तकल्लुफ भी नहीं करता ।।

तनहाई में रहकर करो महफ़ूज़ जहां को ।
मज़हबो मिल्लत की वो परवाह भी नहीं करता ।।

अपना हंसी चेहरा ना छुओ हाथों से अपने ।
नाज़ुक हो या मासूम मुरव्वत भी नहीं करता ।।

ना हाथ मिलाओ ना लो बांहों में किसी को ।
वो प्यार मोहब्बत की क़दर भी नहीं करता ।।

मैं घर में हूं मुझे ‌घर में ही रहना है मुजाहिद ।
तन्हा मुझे रहना यूं परेशां भी नहीं करता ।।

**मुजाहिद चौधरी एडवोकेट
हसनपुर
जनपद अमरोहा
उत्तर प्रदेश, भारत

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ अर्चना गुप्ता का गीत --बन्द घरों में रहने को अब होना है तैयार हो जाएगी इक दिन देखो कोरोना की हार



हो जाएगी इक दिन देखो कोरोना की हार
गले मिलेगा इक दूजे से पूरा ये संसार


आज बनाता हम सबका ही आने वाला कल है
मानव को मिलता उसकी ही हर करनी का फल है
मांसाहार छोड़कर खाना है बस शाकाहार
हो जाएगी इक दिन देखो कोरोना की हार

बार बार अपने हाथों को रगड़ रगड़ कर धोना
जिम्मेदारी खूब निभाना लापरवाह मत होना
ऐसे ही इस महा असुर का करना है संहार
हो जाएगी इक दिन देखो कोरोना की हार

जनता कर्फ्यू का पालन हम सबको ही करना है
आगामी दुष्परिणामों से चेतन मन रहना है
बन्द घरों में रहने को अब होना है तैयार
हो जाएगी इक दिन देखो कोरोना की हार

सोच समझ कर देखभाल कर बस निर्णय लेना है
फैल रही इन अफवाहों पर कान नहीं  देना है
कोरोना के हर प्रहार पर करो पलट कर वार
हो जाएगी इक दिन देखो कोरोना की हार


*************** गजल******************

मुफ्त में मिल गया है कोरोना
जान लेवा बना है कोरोना

विश्व का युद्ध अब छिड़ा कैसा
वार बम से बड़ा है कोरोना

जान ले लीं हज़ारों की इसने
दर्द ही दे रहा है कोरोना

ध्यान चेतावनी पे दो लोगो
छूने से फैलता है कोरोना

चलती साँसों का है बड़ा दुश्मन
लगता यमराज सा है कोरोना

'अर्चना' हो सभी अलग जाओ
अब इसी पर टिका है कोरोना


 ************कुंडली ************

घर की सीमा से नहीं, अपने कदम निकाल
कोरोना बन जाएगा, वरना तेरा काल
वरना तेरा काल,फैलता ये जायेगा
फिर इस पर कंट्रोल, न कोई कर पायेगा
लड़ें  'अर्चना' वीर, हमारे ज्यूँ  सीमा पर
करना है वो काम, हमारी सीमा है घर


**डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत 

मुरादाबाद के साहित्यकार राशिद मुरादाबादी की रचना


सोमवार, 23 मार्च 2020

वाट्स एप पर संचालित समूह साहित्यिक मुरादाबाद में रविवार 22 मार्च 2020 को आयोजित 194 वें वाट्स एप कविसम्मेलन एवं मुशायरे में 32 साहित्यकारों सर्वश्री राजीव प्रखर जी, वीरेंद्र सिंह बृजवासी जी, मुजाहिद चौधरी जी, रवि प्रकाश जी, ओंकार सिंह विवेक जी, इंदु रानी जी, नवाज अनवर खान जी, मीनाक्षी ठाकुर जी,कंचन खन्ना जी, नृपेंद्र शर्मा सागर जी, डॉ रीता सिंह जी, आमोद कुमार जी, संतोष कुमार शुक्ल जी, डॉ मक्खन मुरादाबादी जी, डॉ ममता सिंह जी, अशोक विद्रोही जी, शिशुपाल सिंह मधुकर जी, आदर्श भटनागर जी, डॉ पूनम बंसल जी, डॉ अर्चना गुप्ता जी, सीमा रानी जी, मनोरमा शर्मा जी, हेमा तिवारी भट्ट जी, डॉ मीरा कश्यप जी, मोनिका शर्मा मासूम जी, अभिषेक रुहेला जी, मनोज मनु जी, राशिद मुरादाबादी जी,श्री कृष्ण शुक्ल जी, डॉ प्रीति हुंकार जी, अखिलेश वर्मा जी और डॉ मनोज रस्तोगी ने अपनी हस्तलिपि में अपनी रचना साझा कीं .....




































मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर की कविता -- सैनिटाइज़

अमीरों की बीमारी ने छीन लिया
निवाला गरीबों का..
बुझ गये चूल्हे
रामधन और मुनिया के।
सोच रहे हैं.....
झोंपड़ी के तिनको को
शायद सैनिटाइज़
करने की ज़रूरत तो नहीं ...।
देहातियों को हिकारत से देखने वाले
बड़े लोग...
रखे जा रहे हैं
एकांतवास में..
समाज से पृथक,
क्योंकि... वो ऊँचे लोग हैं।
उन्हें प्रारम्भ से ही अकेला पन भाता
आया है।
अब लौट रहे है
वतन को
विदेश से...,
क्या वतन की याद आयी है
या कुछ और है....?
वातानुकूलित कमरों में रहने वाले
अचानक ही चाहने लगे
तपती जेठ की दुपहरियां
गँवार लोग सहमे हैं
पूछते हैं वैद्य जी से,
"ई अमीरों का खाँसी जुकाम भी
अलग होत  है का?"
खेतों में हल चलाता बुधिया पूछता है..
"ई ढोरों से दूर कैसन रहत बा...?
निशब्दः समाज..!!!
नाइट क्लबों में देर रात तक जागते युगल
अब कहाँ है?
सम्भवतः अनुशासन में रहेंगे कुछ देर के लिये,
जब तक महामृत्यु का तांडव चलेगा...!!
काँपती धरती...
विदीर्ण होते शरीर
आज शायद प्रकृति अपने आवरण से हटा रही है
दूषित तन और मन
सम्भवतः चाहती है करना
स्वयं को सैनिटाइज़....!!!!

***मीनाक्षी ठाकुर
मिलन विहार
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत