बुधवार, 25 मार्च 2020

मुरादाबाद के साहित्यकार अमितोष शर्मा की गजल --बेवजह घर से निकलने की ज़रूरत क्या है | मौत से आंख मिलाने की ज़रूरत क्या है |।

बेवजह घर से निकलने की ज़रूरत क्या है |
मौत से आंख मिलाने की ज़रूरत क्या है |

सबको मालूम है बाहर की हवा है क़ातिल |
यूँ ही क़ातिल से उलझने की ज़रूरत क्या है ||

ज़िन्दगी एक नियामत, इसे सम्हाल के रख |
क़ब्रगाहों को सजाने की ज़रूरत क्या है ||

दिल बहलने के लिए घर मे वजह हैँ काफ़ी |
यूँ ही गलियों मे भटकने की ज़रूरत क्या है ||

मुस्कुराकर, आंख झुकना भी अदब होता है |
हाथ से हाथ मिलाने की ज़रूरत क्या है ||

लोग जब हाथ मिलाते हुए कतराते हों |
ऐसे रिश्तों को निभाने की ज़रूरत क्या है ||

अमितोष शर्मा ग़ज़ल

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