*कोरोना के चक्र में, फँसा सकल संसार।
मानव के दुष्कृत्य से, विपदा अपरंपार।।
*हर कोई भयभीत है, मान रहा अब हार।
कार कोठियां रह गईं, धन सारा बेकार।
*चमत्कार विज्ञान के, हुए सभी निर्मूल।
जान बूझकर ये मनुज, करता जाए भूल।।
*बड़े-बड़े योद्धा डरे, कोरोना को देख।
पर मानव सुधरे नहीं, लिखे प्रलय का लेख।।
*धन-दौलत की चाह में, करे प्रकृति को क्रुद्ध।
दोहन अतिशय ये करें, करता नियम विरुद्ध।।
*मुश्किल में अब जान है ,घर में ही सब कैद।
बलशाली भी डर गए,डरे चिकित्सक वैद।।
*अभी समय है चेत जा, तज दे तू अज्ञान।
काँधा देने के लिए, मिलें नहीं इंसान।।
*भौतिक सुख सुविधा नहीं, अपने भव की सोच।
फास्टफूड ही कर रहा , लगी सोच में मोच।।
*शाकाहारी भोज में , मिलता है आनन्द।
चाइनीज भोजन करे, सबकी मति है मन्द।।
*योग, सैर अपनाइये, तन-मन रहे निरोग।
संस्कृति अपनी ही भली, कहते आए लोग।।
*श्रम करने से ही सदा , तन का अच्छा हाल।
आलस मोटा कर रहा, बने स्वयं का काल।।
*व्यसनों में है आदमी, झूठा चाहे चैन।
मन भी बस में है नहीं, भाग रहा दिन रैन।।
***डॉ राकेश चक्र
90 बी
शिवपुरी
मुरादाबाद 244001
उ.प्र . भारत
मोबाइल फोन नंबर 9456201857
Rakeshchakra00@gmail.com
मानव के दुष्कृत्य से, विपदा अपरंपार।।
*हर कोई भयभीत है, मान रहा अब हार।
कार कोठियां रह गईं, धन सारा बेकार।
*चमत्कार विज्ञान के, हुए सभी निर्मूल।
जान बूझकर ये मनुज, करता जाए भूल।।
*बड़े-बड़े योद्धा डरे, कोरोना को देख।
पर मानव सुधरे नहीं, लिखे प्रलय का लेख।।
*धन-दौलत की चाह में, करे प्रकृति को क्रुद्ध।
दोहन अतिशय ये करें, करता नियम विरुद्ध।।
*मुश्किल में अब जान है ,घर में ही सब कैद।
बलशाली भी डर गए,डरे चिकित्सक वैद।।
*अभी समय है चेत जा, तज दे तू अज्ञान।
काँधा देने के लिए, मिलें नहीं इंसान।।
*भौतिक सुख सुविधा नहीं, अपने भव की सोच।
फास्टफूड ही कर रहा , लगी सोच में मोच।।
*शाकाहारी भोज में , मिलता है आनन्द।
चाइनीज भोजन करे, सबकी मति है मन्द।।
*योग, सैर अपनाइये, तन-मन रहे निरोग।
संस्कृति अपनी ही भली, कहते आए लोग।।
*श्रम करने से ही सदा , तन का अच्छा हाल।
आलस मोटा कर रहा, बने स्वयं का काल।।
*व्यसनों में है आदमी, झूठा चाहे चैन।
मन भी बस में है नहीं, भाग रहा दिन रैन।।
***डॉ राकेश चक्र
90 बी
शिवपुरी
मुरादाबाद 244001
उ.प्र . भारत
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