बुधवार, 19 फ़रवरी 2020

मुरादाबाद मंडल के सिरसी (सम्भल) के साहित्यकार कमाल जैदी वफ़ा की लघुकथा

 # मनचले                                     
  उन मनचलों का रोज का दस्तूर था कि शाम को सैर पर निकलते तो आती जाती लड़कियों व महिलाओं पर फब्तियां कसते और खुश होते जुमेरात को भी वो रोजाना की तरह सिगरेट के कश लगाते हुए फब्तियां कस रहे थे तभी सामने से कुछ लड़कियां काले बुर्के पहने आती दिखाई दी अपनी आदत के मुताबिक तीनो मनचलों ने उन पर फब्तियां कसनी शुरू कर दी कोई उन्हें पास आने की दावत  दे रहा था तो कोई चेहरा दिखाने की गुजारिश कर रहा था तो कोई आहे भर रहा था लेकिन यह क्या वह बुर्कापोश लडकिया तो उन्ही की तरफ आने लगी तीनो मनचले खुश होने लगे लेकिन लड़कियों ने उनके पास आकर जब नकाबे उल्टी तो मनचलों के  चेहरे फक हो गये यह तो उनकी ही बहने थी जो दरगाह पर मन्नत मांगकर वापस घर जा रही थी
**कमाल ज़ैदी 'वफ़ा', सिरसी (सम्भल)
मोबाइल फोन नंबर 9456031926

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