शनिवार, 29 फ़रवरी 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार हेमा तिवारी भट्ट की कविता -- रोटी ...


वह देखती है
मेरी तरफ,
उम्मीदों से।
क्योंकि मैं....
लिख सकती हूँ,
रोटी।
उसने सुनी थी,
भूख पर....
मेरी शानदार रचना।
उसे कुछ समझ नहीं आया,
सिवाय रोटी के।
तब से उसकी निगाह,
पीछा करती है,
हर वक़्त मेरा।
पता नहीं क्यों,
उसे लगने लगा है,
रोटी पर लिखने वाले,
रोटी ला भी सकते हैं।
पर उसे नहीं पता
मैं खुद भी ढूँढ रही हूँ
रोटी....
इस तरह
अपने भूखे मन के लिए।
पर उसे देखकर
मेरा मन भर आया है।
अब नहीं करता मन,
रोटी पर लिखने का।
मैं असहाय हो गयी हूँ,
शब्दों की पोटली से,
कविता तो निकल आयेगी,
पर रोटी.......
✍हेमा तिवारी भट्ट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

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