गुरुवार, 27 फ़रवरी 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार मीनाक्षी ठाकुर की लघुकथा ....

लूट..

सुपरररर...!.वाहहहहहह..!!क्या  डिज़ाइनर पीस है..!!!
क्या प्राइज़ है इसका..?सुधा ने एक चाइनीज़ आइटम की ओर इशारा करते हुए,सेल्समैन से पूछा।"ओनली फोर थाउजेंड मैम..!"सेल्समैन ने बड़ी ही शालीनता से उत्तर दिया।"ओके,प्लीज़ पैक इट,फोर मी.."यह सुनकर सुधा के पति रमेश ,जो कि बहुत देर से चुप थे,थोड़ा फुसफुसाते हुए बोले,तुम्हें ये पीस ज्यादा महँगा नहीं लग रहा,कहीं ओर देखते हैं न..!" सुधा ने हलके से कोहनी मारते हुए रमेश से चुप रहने का इशारा किया,और बनावटी हँसी हँसते हुए सैल्समैन से बोली,"प्लीज़,हरी अप..हमें अभी और भी शापिंग करनी है....," "जी मैम"कहते हुए सैल्समैन ने आइटम पैक कर दिया।
   "तुम हर जगह अपनी कंजूसी दिखाते रहते हो...कम से कम प्रेस्टीज  का तो ध्यान रखा करो...."सुधा ,रमेश को लैक्चर देते हुए शापिंग माल की सीढिय़ों से नीचे उतरते हुए बोली।"ओके बाबा...जो करना है करो..,थोड़े दिये भी तो ले लो,दीवाली पूजन के लिये"रमेश ने थोड़ी तल्ख़ी से कहा।"ओहहहह...यार मैं तो भूल ही गयी थी..."कहते हुए सुधा शापिंग माल के बाहर  दिये लेकर बैठी एक बूढ़ी महिला की ओर बढ़ी और उपेक्षा से पूछा ,"ये दीपक कैसे दिये?."
बूढ़ी बोली,"ले लो बेटा...पचास रुपये सैकड़ा ...लगा दूँगी","  "हैं...!! पचास रुपये सैकड़ा....!!.अरे लूट मचा रखी है तुम लोगो ने...!पचास रुपये सैकड़ा कहाँ हो रहे हैं ?  चलो जी...आगे देखते हैं...।"
इसके पहले बूढ़ी कुछ कह पाती ,बड़बड़ाती हुई सुधा  रमेश  के साथ तेजी से बाज़ार की भीड़ में आगे बढ़ गयी....।
 **मीनाक्षी ठाकुर
 मिलन विहार
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

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