य गुल बेचते हैं, चमन बेचते हैं,
औ ज़रूरत पड़े तो कफ़न बेचते हैं |
ये कुरसी की ख़ातिर अमन बेचते हैं,
मेरा हिन्द – मेरा वतन बेचते हैं |
--तो अपने वतन के लोगों को इक बात बतानी है !
सर से अब गुज़रा पानी है,
इन्होंने की बेईमानी है |
सोने की चिड़िया भारत की अब इतनी पहचान है,
पर्वत से सागर तक भूखा – नंगा हिन्दुस्तान है |
रिश्वत का बाज़ार गर्म, और हाय ! दलाली शान है,
सुनकर गाली सा लगता है, यहाँ सुखी इंसान है |
--तो बात तरक्क़ी की करना एक ग़लतबयानी है !
बात हमको कह्लानी है,
इन्होंने की बेईमानी है |
बरसों से खाते आये हैं, पेट नहीं पर भर पाया,
पहले हिन्दू – मुस्लिम बांटे, फिर सिखों को उकसाया |
हक़ इनके हिस्से में आये, फ़र्ज़ है जनता ने पाया,
इस पर भी कुरसी डोली तो, बेशुमार को मरवाया |
--तो ऐसा लगता है कि होनी ख़तम कहानी है !
कि अब इक आँधी आनी है |
इन्होंने की बेईमानी है |
जब तक तुम बांटे जाओगे गीता और क़ुरान में,
तब तक बांटेंगे तुमको ये दीन – मज़हब, ईमान में |
कभी लड़ायेंगे तुमको ये नक्सल के मैदान में,
मोहरा कभी बनायेंगे तुमको ये ख़ालिस्तान में |
--तो छोटी सी इक बात मुझे तुमसे मनवानी है !
कि तुममें एकता आनी है,
तो उनकी कुरसी जानी है,
जिन्होंने की बेईमानी है |
✍️ ए. टी. ज़ाकिर
फ्लैट नम्बर 43, सेकेंड फ्लोर
पंचवटी, पार्श्वनाथ कालोनी
ताजनगरी फेस 2, फतेहाबाद रोड
आगरा-282 001
मोबाइल फोन नंबर. 9760613902,
847 695 4471.
Mail- atzakir@gmail.com
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