शनिवार, 29 फ़रवरी 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार अस्मिता पाठक की कविता - सच मत बोलो ...

मीडिया तुम बोलो,
माइक्रोफोन को हाथ में पकड़ो
और ऊँची आवाज़ में छोटे-मोटे मामलों पर
बहस करो....
उनके नीचे
....हालात खुद ब खुद दब जाएंगे।
क्योंकि आम लोग तुम पर
 विश्वास करते हैं
इसलिए कहो
कहो कि सब अच्छा है,
कहो कि रात हो रही है
और सुबह सूरज दीख रहा है।
कि तापमान कम है तो क्या हुआ,
कंबल, हीटर, छत सबके पास है।
मगर;
मगर, मत कहना जो सच है
मत कहना कि कोई मुश्किल में है
और कोई रोज़ मर रहा है
वरना जो लोग तुम पर विश्वास करते हैं
वे लड़ने लगेंगे,
वे उस भगवान से लड़ने लगेंगे
जिसने तुम्हें खरीद लिया था
इसलिए तुम सब बोलो
मगर,
सच मत बोलो...
**अस्मिता पाठक
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

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