आज दशहरे पर मुन्नी ने,
माँ से पूछा इक सवाल।
पुतला रावण का क्यूँ हम सब,
ये जलाते हैं हर साल।
बड़े प्यार से माँ ने उस को,
अपने क़रीब बैठाया।
रावण एक प्रतीक मात्र है,
मुन्नी को यह समझाया।
मुन्नी जब तक भीतर अपने,
डेरा कपट जमायेगा।
तब तक सच है दंभी रावण,
कहाँ भला मर पायेगा।
तो आओ पहले मिल कर हम,
मन को अपने साफ़ करें।
और सच की तूलिका से फिर,
अच्छाई के रंग भरे।
✍️ डाॅ ममता सिंह
मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
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