सज़ल आँखें कमल आँखें
लगे उसकी गज़ल आँखें
करें मदहोश जो मुझको
हिरन जैसी विचल आँखें
नहीं उम्मीद जब कोई
तलाशें क्या विरल आँखें
उमंगों से भरी देखों
चमकती अब सफल आँखें
नहीं करना भरोसा तुम
करें हैं प्रीति छल आँखें
✍️ प्रीति चौधरी
गजरौला, अमरोहा
उत्तर प्रदेश, भारत
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