मैं अपने मुल्क पर कुर्बान हो जाऊं ये ख्वाहिश है ।
मैं सच की राह पर कुर्बान हो जाऊं ये ख्वाहिश है ।।
यहां हर सिम्त हर सू झूठ का ही बोल बाला है ।
जमाने को मैं इतना सच बता जाऊं ये ख्वाहिश है ।।
तुम्हारी जिंदगी अंधेरी राहों का समंदर है ।
मैं जुगनू बन के जगमगा जाऊं ये ख्वाहिश है ।।
हटा दूं राह के पत्थर मैं चुन लूं राह के कांटे ।
तुझे मंजिल दिला जाऊं फकत मेरी ये ख्वाहिश है ।।
हमारी जिंदगी में और इस दुनिया के रहने तक ।
तिरंगा बनके लहराऊं फकत मेरी ये ख्वाहिश है ।।
सभी मिलकर करें मजबूत रिश्ता फिर मोहब्बत का ।
मैं नफरत को मिटा जाऊं फकत मेरी ये ख्वाहिश है ।।
खत्म हो जाएं मुजाहिद आपसी झगड़े ।
खुशी बनके मैं छा जाऊं फकत मेरी ये ख्वाहिश है ।।
✍️ मुजाहिद चौधरी
हसनपुर, अमरोहा
उत्तर प्रदेश, भारत
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