रविवार, 31 जुलाई 2022

मुरादाबाद मण्डल के जनपद अमरोहा निवासी मुजाहिद चौधरी की रचना -----


मेरे घर के बाहर सावन  है । 

मेरे मन के अंदर सावन है ।। 

उस नील गगन पर सावन है । 

इस धरा पै छाया सावन है ।।

कुछ प्रसन्न मेरा चित्त है ।

कुछ आनंदित मेरा मन है ।।

है आंखों से नदिया जारी ।

मेरी आंखों में भी सावन है ।।

रिमझिम रिमझिम सी बूंदे हैं ।

मनमोहक है मनभावन है ।।

है अमृत बारिश का पानी । 

ये पानी बहुत ही पावन है ।। 

हर ओर है हरियाली छाई ।

पौधों पर छाया यौवन है ।।

फूलों ने खुशबू छोड़ी है ।

हर ओर सुगंधित उपवन है ।।

लेकिन यह मेरा दुश्मन है । 

मुझे मां की याद दिलाता है ।

मेरा माज़ी याद दिलाता है ।।

बचपन की याद दिलाता है । 

वह कच्चे घर सच्चे रिश्ते ।

छप्पर की याद दिलाता है ।।

वह घर गिरने की आवाजें । 

उस शोर की याद दिलाता है ।।

कोई हिंदू था ना मुस्लिम था । 

उस दौर की याद दिलाता है।। 

सब हाथ मदद को उठते थे । 

सारे दुख मिल कर सहते थे ।।

ना कोई किसी का दुश्मन था । 

ऐसे मिलजुल कर रहते थे ।।

यह सावन बहुत ही ज़ालिम है।

मुझे यौवन याद दिलाता है ।।

जब गांव की गोरी पनघट पर ।

पानी लेने को जाती थी ।। 

हम घंटों तकते रहते थे ।

एक आस में जीते रहते थे ।। 

मन में कोई विद्वेष नहीं । 

अब स्मृति कुछ शेष नहीं ।

मुझ में भी कोई अवशेष नहीं ।।

मैं तो बस एक सूखा तिनका हूं । 

क्या जानू कब उड़ जाऊंगा ।

कब पवन उड़ा ले जाएगी ।। 

कब सबसे जुदा हो जाऊंगा ।

कब मिट्टी में मिल जाऊंगा ।। 

लेकिन निश्चिंत मेरा मन है ।

जब जब भी सावन आएगा ।

तुम्हें मेरी याद दिलाएगा ।।

मैं याद बहुत फिर आऊंगा ।

मैं आंखों में बस जाऊंगा ।।

सावन में बहुत रुलाऊंगा ।

जीना मुश्किल कर जाऊंगा ।। 

है आज मुजाहिद का वादा । 

अपने पद चिन्ह बनाऊंगा ।।

✍️ मुजाहिद चौधरी

हसनपुर, अमरोहा

उत्तर प्रदेश, भारत


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