"मां तेरी मोहब्बत सी मोहब्बत नहीं देखी l
ममता की कोई दूसरी मूरत नहीं देखी ll
देखी है जमाने में हसीनाएं बहुत सी l
दुनिया में तेरी सी कोई सूरत नहीं देखी ll.......
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" वह जिंदगी से मेरी कुछ ऐसे चले गए l
सारे जहां ने रोका मगर वह चले गए l l
कैसे सफर पर निकले कोई साथ ही नहीं l
सामान कुछ लिया नहीं तनहा चले गए l l
बादल को इंतकाल की जैसे खबर हुई l
तुम जिस जगह से गुजरे वह रो कर चले गए l l
पहले तो आंख में कभी आने न दी नमी l
आखिर में सबकी आंखें भिगो कर चले गए l l
जाना ही था तो इतना हमें प्यार क्यों दिया l
फिर क्यों हमें ही गम में डुबो कर चले गए l l
अब उनकी मगफिरत को दुआगो हैं हम सभी l
ताउम्र जो दुआएं हमें दे कर चले गए l l
कैसे मनाएं खुशियां तुम्हारे बगैर हम l
खुशियां हमारी साथ में लेकर चले गए l l
मुजाहिद ने जब यह दर्द सरे बज्म कह दिया l
आंखों में सारे अश्कों को लेकर चले गए l l
✍️ मुजाहिद चौधरी
हसनपुर, अमरोहा
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