दुनिया के सब दर्द मिटाना चाहूंगा ।
मैं तो सबको रंग लगाना चाहूंगा ।।
चाहूंगा नफरत को मिटाना चाहूंगा ।
प्रेम की गंगा फिर से बहाना चाहूंगा ।।
झूम के खुशबू और रंगों की मस्ती में ।
प्यार के रंग मैं सब को लगाना चाहूंगा ।।
हिंदू को मुस्लिम से कुछ तकलीफ ना हो ।
एक दूजे से सबको मिलाना चाहूंगा ।।
तुम भी मुझको पाठ पढ़ाना वेदों के ।
मैं तुमको कुरआन पढ़ाना चाहूंगा ।।
धर्म सभी अच्छे हैं सच बतलाते हैं ।
मैं तो मुजाहिद प्यार सिखाना चाहूंगा ।।
✍️ मुजाहिद चौधरी
हसनपुर, अमरोहा
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