बिन सोचे समझे सदा, लिक्खे मन के भाव।
यश-अपयश से मुक्त हो, रहे सदा समभाव।।1।।
और सुनो जी अनकही, एक अनोखी बात।
शुभ प्रभात है आपसे, श्रेष्ठ आपसे रात।।2।।
पागल बनकर सुन सखी, पागल पन की बात।
तुझ बिन तपते जेठ सी, सावन की बरसात।।3।।
हमनें रिश्तों में कभी, किया नहीं व्यापार।
रहे उसूलों पर अडिग, जीत मिली या हार।।4।।
बोल बड़े अनमोल हैं, सोच-समझ कर बोल।
भटके तो कृष्णम् जहर, दें रिश्तों में घोल।।5।।
उखड़ी-उखड़ी साँस है, सपने चकनाचूर।
भारी बोझा पीठ पर, लाद चला मजदूर।। 6।।
भूख प्यास के गाँव में, देख रहा मधुमास।
मजदूरों की पीर का, है किसको आभास।।7।।
तपती-जलती रेत में, रखे जमाकर पाँव।
मेहनतकश की आंख में, उम्मीदों का गाँव।।8।।
मालिक की दुत्कार को, लिखा भाग्य में मान।
धारण की मजदूर ने, होठों पर मुस्कान।।9।।
मन नयनों पर घिर गिरा,बोतल भरी शराब।
निष्ठुर मधुशाला हुई,गड़बड़ हुए हिसाब।। 10।।
नयन कटोरे मधु भरे,अधर पी गए प्यास।
मधुशाला बहकी पड़ी,थी सागर के पास।।11।।
तन मदिरा मन होठ हैं,सदा रहेंगे पास।
जग झूठा झगड़े सभी,प्रेम अटल विश्वास।।12।।
हम क्या जाने धर्म को,क्या मजहब की शान।
प्रेम भरी डलिया पकड़,रही तड़पती जान।।13।।
मीठी सी मुस्कान को,कौन सका है तोल।
हीरे मोती लुट गए,बिन बोले अनमोल।।14।।
सासोसेसांसो से जब भी कहा,मेरी तुम में जान।सांसो से जब भी कहा,मेरी तुम में जान।
तब सांसो ने फेंक दी,तीखी सी मुस्कान।।15।।
बगुले जैसी सोच में,कोयल के व्यवहार।
मन पर डाका डालते,चापलूस मक्कार।।16।।
गर्लफ्रैंड हर बॉय का, मूल मंत्र एंजॉय।
थोड़े दिन की हाय है, फिर हो जाती बाय।।17।।
देखी भाली है नहीं, लगती जैसे फ्रेंड।
रोज धड़ाधड़ कर रही,देखो मैसेज सैंड।। 18।।
मैं गुड़िया जापान की, गूची जैसी सैंट।
पल्ले देखो पड़ गया, एंड बैंड हसबैंड।।19।।
जीजा जी होते सभी, स्वीटहार्ट नमकीन।
साली होती चाय सी,जीजी सब गमगीन।।20।।
देख-देखकर हो गयीं, जीजी जी गमगीन।
जीजा साली ढूंढते, बिस्किट में नमकीन।।21।।
पाजी के मुँह को लगा, जब अंग्रेजी प्यार।
कॉकटेल जैसा हुआ, उठा-पटक व्यवहार।।22।।
डाली पके अनार हम,भीतर बाहर रैड।
मनिया मन भर देख ले,फीके वाई जैड।।23।।
गर्मी में लगती बड़ी,अच्छी थमसप कोक।
जल्दी से लाओ सनम, छोड़ो सारे जोक।।24।।
सौतन मोबाइल बनी,मेरी सुन भरतार।
ब्रांड नई में घूमते,छोड़ पुरानी कार।।25।।
मुँह से लगी अफीम सी,अंग-अंग में भंग।
सो क्यूटी ब्यूटी भरी, अजब-गजब हर ढंग।।26।।
और बताऊँ मैं तुम्हें, एक कीमती बात।
मैं ठहरा गुड मॉर्निंग, बाकी काली रात।।27।।
डाँट प्यार फटकार है,माँ का लाड़-दुलार।
आँचल माँ की गंध का,बालक का संसार।।28।।
पाया है मां बाप से,जिसने सच्चा प्यार।
जीवन भर उसको मिला,खुशियों का भंडार।।29।।
जीवन जीना माँ बिना,चलना बोझ समेत।
दूर दूर तक जल नहीं,उड़ती तपती रेत।।30।।
चली गईं आकाश तुम, इच्छा जैसी ईश।
रखो पीठ पर हाथ माँ,देना सर आशीष।।31।।
जिसको भी माँ से मिला,पूरा सच्चा प्यार।
मुट्ठी में उसकी रहा,खुशियों का संसार।।32।।
भगवन मुझको थाम लो,मन नहि थमता आज।
मैं बालक अब क्या करूं,रोते-रोते साज।।33।।
मैया तेरी याद में,रोता मैं दिन रैन।
सत्य जानकर भी नहीं,आता मन को चैन।।34।।
मन को आता ही नहीं,कृष्णम् यह विश्वास।
माता जी अब कर रहीं,परमधाम में वास।।35।।
माँ हम सब को छोड़कर,चली गईं किस लोक।
पूछ रहा है शोक में,डूबा हुआ अशोक।।36।।
पिंडदान के हो गए,सारे पूर्ण विधान।
मां को चरणों में जगह,दे देना भगवान।।37।।
वर्तमान भटका हुआ,उलझा हुआ अतीत।
कृष्णम मां बिन जिंदगी,बिना साज का गीत।।38।।
मातृ दिवस पर राम सब,घर-घर श्रवण कुमार।
दिन में उल्लू से छिपे,मजनू के अवतार।।39।।
गाली मां को रात दिन,देने वाले लोग।
मातृ दिवस पर दे रहे,माता जी को भोग।।40।।
पत्नी एसी रूम में,मां को टूटी खाट।
देर रात तक जोहती,मां बेटों की बाट।।41।।
कही सुनी मन की नहीं,कभी न बैठे पास।
मां की महिमा का हमें,क्या होगा आभास।।42।।
कारण में वातावरण,का होता है हाथ।
वैसी बनती वृत्तियां,जैसा मिलता साथ।।43।।
सुख के कारण आप हैं, दुख के अपने आप।
किया धरा कुछ भी नहीं,मन का अपने ताप।।44।।
फैलाए जब भी कभी,कहीं किसी ने हाथ।
अपने सब सपने हुए,छोड़ गए सब साथ।।45।।
बंद बंद थी लाख की,खुली मिली बस राख।
मुट्ठी तू समझी नहीं,क्या होती है साख।।46।।
आन बान की शान का,अपनी रखते मान।
ऐसे राणा का करें,राष्ट्रभक्त गुणगान।।47।।
छोटी मोटी बात पर,रोना धोना छोड़।
चेतक बन कर युद्ध में,सर दुश्मन के फोड़।।48।।
बात बात पर रात दिन,रोने वाले लोग।
मामूली होते नहीं,कोरोना से रोग।।49।।
बैसाखी के हाथ जो,मांगें अपनी खैर।
वो मेरे हैं ही नहीं,काटो ऐसे पैर।।50।।
बीच धार में नांव है,हाथ नहीं पतवार।
बेबस मन नाविक बहुत,तारो पालनहार।।51।।
चलते-चलते घिस गए,पांव हमारे राम।
हम शबरी के बेर से,दे दो पूर्ण विराम।।52।।
✍️त्यागी अशोका कृष्णम्
कुरकावली, संभल
उत्तर प्रदेश, भारत
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