हिन्दी-उर्दू में चले, अगर अदब की बात
प्रेमचन्द के नाम से, ही होगी शुरुआत ।।1।।
परियों-जिन्नों से किया, कहानियों को मुक्त
प्रेमचन्द ने सब रचा,निज अनुभव से युक्त ।।2।।
जो रचकर 'सोज़े-वतन', छेड़ दिया संग्राम
अंग्रेज़ों के भाल पर, बल पड़ गए तमाम ।।3।।
इस समाज का हूबहू, गए चित्र वे खींच
अब भी 'होरी' मर रहे, घोर अभावों बीच ।।4।।
'होरी', 'घीसू', 'निर्मला', ये जो रचे चरित्र
इस समाज का वास्तविक, प्रस्तुत करते चित्र ।।5।।
बापू जब आगे बढ़े, लेकर क्रांति-मशाल
खड़े हुए संग्राम में, प्रेमचन्द तत्काल ।।6।।
प्रेमचन्द की ज़िन्दगी, बीती बीच अभाव
उनका मगर समाज पर, गहरा पड़ा प्रभाव ।।7।।
✍️अंकित गुप्ता 'अंक'
सूर्यनगर, निकट कृष्णा पब्लिक इंटर कॉलिज,
लाइनपार, मुरादाबाद
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल नंबर- 9759526650
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