1.
सत्ता मद में डूबकर,करो न अत्याचार
सच्चाई के सामने, झूठ मानता हार।
2.
निर्धन की संपत्ति पर, करो नहीं अधिकार
निर्बल के अभिशाप से, होता बंटाधार।
3.
उसके घर माफ़ी नहीं,सुन ले साहूकार
तेरी करनी की सज़ा, देगा पालनहार।
4.
दुर्गा माँ का रूप है, बेटी का अवतार
अपने हाथों से करे, दुष्टों का संहार।
5.
अहम् वहम में मत रहो, धनबल सुख का सार,
मिट्टी में मिल जाएगा, मायावी संसार।
6.
बेटी की किलकारियाँ, ईश्वर का उपहार
जिस घर में बेटी नहीं,वह घर है बेकार।
7.
आदर्शो की बेल पर, खिलें ख़ुशी के फूल
नहीं सताते राह में विपदाओं के शूल।
8.
बेटों से कमतर नहीं,बेटी का किरदार
सुख-दुख में रहती सदा सेवा को तैयार।
9.
कभी किसी से मत करो, कटुता का व्यवहार
सबके ही एहसान का, करो व्यक्त आभार।
✍️वीरेंद्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 9719275453
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