मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की मासिक काव्य-गोष्ठी रविवार चार अगस्त 2024 को मिलन विहार स्थित आकांक्षा विद्यापीठ इंटर कॉलेज में हुई।
राजीव प्रखर द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रामदत्त द्विवेदी ने कहा ....
मत कहो आकाश में कोहरा तना है।
यह किसी विरहिणी का आंचल तना है।
मुख्य अतिथि रघुराज सिंह निश्चल का कहना था ....
नहीं एक भी ऋतु है ऐसी, जिसके लिए अर्चना होती।
एकमात्र ऋतु पावस ही है, जिसके लिए धरा भी रोती।
विशिष्ट अतिथि योगेन्द्र वर्मा व्योम ने अपने भावों को शब्द दिये -
रोज़ाना ही हर सुबह, तलब उठे सौ बार।
पढ़ा कई दिन से नहीं, मेघों का अख़बार।।
कहीं धरा सूखी रहे, कहीं पड़े बौछार।
राजनीति करने लगा, बूँदों का व्यवहार।।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए जितेन्द्र जौली ने समाज को संदेश दिया -
तम्बाकू का सेवन करके, बहुत लोग मर जाते हैं।
तम्बाकू से दूर रहेंगे, चलो कसम ये खाते हैं।।
पदम बेचैन भी अपनी इन पंक्तियों के साथ मुखर हुए -
गिला तुझसे नहीं रूठ कर जाने वाले,
तन्हा मैं भी अपने रास्ते पर जाता हूॅं।
नकुल त्यागी के अनुसार -
पुरानी दोस्ती हो तो जगत में नाम पाती है।
मनोज मनु की पंक्तियों ने भी अपनी प्रस्तुति से सभी को आह्लादित करते हुए कहा -
न जाने कितने हालातों से लड़ कर शक्ल पाती है...
करो इस दोस्ती की क़द्र, यह यूं ही नहीं मिलती।
राजीव प्रखर ने समाजिक परिस्थितियों का सटीक चित्र इस प्रकार खींचा -
होंठों पर सुर-लहरियाॅं, झूलों में उल्लास।
मेघा ! ला दे ढूंढ कर, ऐसा सावन मास।।
अधरों पर महबूब के, आयी जब मुस्कान।
दिल ने माना पड़ गयी, फिर सावन में जान।।
काव्य पाठ करते हुए प्रशांत मिश्र ने कहा -
मुझे दुनिया की नजर से वो बचाती है,
अपने मन का भय कहाँ जताती है,
वो माँ है, अपना दर्द कहाँ बताती है।
कार्यक्रम के अंत में राजीव प्रखर के बड़े भ्राता संजीव कुमार सक्सेना के निधन पर दो मिनट का मौन रखते हुए उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
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