पात्र -
बालक–बालिका संख्या 6
लाला का पुत्र
लाला
(समवेत स्वर में सभी बाल पात्र नुक्कड पथ पर चक्कर लगा कर,कोरस गाते हुए आते हैं और घेरा बना कर ताल के साथ तालियां बजाते हैं। एक पात्र ढ़पली बजाते हुए गाता है बाकी सब उसको दोहराते हैं। )
एक दो तीन।
पैसों की मशीन ।
थोडा़ झूठ,थोडी लूट
विज्ञापन की सजावट,
नकली माल, खूब मिलावट ,
फुला के पेट,
हंसता मोटा सेठ ,
मकान बनाए ,खेत बढ़ाए,
खूब खरीदी जमीन,
एक दो तीन।
पैसों की मशीन।
पैसों की मशीन भैया पैसों की मशीन।
पैसों की मशीन भैया पैसों की मशीन।
बालक (1) - सुनो सुनो सुनो - ध्यान से सुनो।
इस शहर का नामी लाला ।
बालक(2) - कभी सड़क किनारे था खोखा डाला।
सेठ बन गया लाला, मोटी तोंद वाला ।
बालक (3) -एक नहीं कई धंधे बदले।
कब क्या करता? कैसे करता?
बालक(5) - कोई न जाने। कोई न समझे।
गड़बड़झाला। गड़बड़झाला।
बालक (2)- यह-मिलावटखोर लाला।
यह-काला बाजारी लाला।
बालक (4)- घूस खोर और रिश्वतखोरी ।
लाला अपनी भरे तिजोरी।
बालिका(1) - नं० 2 के सब काले धंधे।
रिश्वत लेते, अफसर अंधे
इसे मिली हुई हर छूट।
लाला करे जनता से लूट ।
सरकारी राशन की चौरी,
लाला भरे अपनी तिजोरी
काले कारोबार अनेक।
काम न करता कोई नेक।।
बालक (4) - मीना,शानू कुक्कू,चुन्नू
मैं भी नाटक खेलुंगा,
मेरा रोल मुझे बताओ.
मुझे भी कोई पात्र बनाओ।
सब बालक- नहीं नहीं -कभी नहीं।
तुम तो लाला के लड़के।
झूठ फरेब में पले बडे।
नाटक में तुम्हें न लेंगे।
दूर हो जाओ अलग खडे ।
बालक ( 1 ) - जन-जन का दुख-दर्द,
अब हम दिखाने आऐ हैं।
काला बाजारी,मुनाफाख़ोरी
सबसे बडे समाज के दुश्मन।
नेता ,व्यापारी और अधिकारी
गंदा गोरखधंधा,गंदा गठबंधन
समाज के हैं यह कोढ़
इसको देंगे अब हम तोड़
मिलावटखोर अजगर से
सब को बचाने आए हैं।
जन-जन का दुख-दर्द,
हम सबको दिखाने आए हैं।
( लाला का पुत्र के रूप में एक बालक के चारों तरफ घेरा बना कर सभी बालक संवाद को बार-बार द़हराते हैं। लाला का पुत्र बालक जमीन पर अपना सर नीचे कर बैठ जाता है। बाकी सब पात्र पीछे एक पंक्ति बना कर खडे़ हो जाते हैं।)
बालक 5 - (अपने हाथ की ऊंगली लाला के पुत्र की ओर दिखाते हुए )
पिता तुम्हारा भ्रष्टाचारी।
बालक 6 - खूब करे मिलावटखोरी।
बालक- 1 - हल्दी में - जहरीला रंग।
बालक 2 - मसालों में -घोडे़ की लीद ।
बालक 3 - दालों में - कंकड़ और पत्थर।
बालक 1 - शराब में- मिले ज़हर ।
बालक 2 - चर्बी मिले घी तेल के अंदर।
बालक 5 -मिठाई में मिलाते - कैमीकल।
बालक 3 -नकली अंडा , नकली चावल।
जनता को समझें यह अंधा,
एक्सपायरी का करता धंधा।
लाला का पुत्र -लेकिन मेरा इसमें क्या है दोष।
तुम जैसा हूं मैं बालक,
मैं हूं बिल्कुल निर्दोष।
( सब मिल कर बोलते हैं )
नहीं नहीं कभी नहीं
तुम-
भ्रष्टाचार में पले बढ़े।
भ्रष्टाचार में रचे-बसे।
भ्रष्टाचार में लिप्त रहे।
भ्रष्टाचार से सने हुऐ।
लाला का पुत्र -(रोते हुए जाता है)
मेरे पिता को अपमानित करते,
मुझको भी करते अपमानित,
खुले आम इल्ज़ाम लगाते,
( लाला का पुत्र नाटक घेरे से बाहर चला जाता है । बाकी सब पात्र मिल कर गाते हैं)
अब न और मिलावट हो।
अब न किसी का स्वास्थ्य बिगडे़,
अब न किसी का बच्चा बिछुडे़,
मरे न कोई ज़हरीली शराब से,
अब किसी का घर न उजडे़,
इसका विरोध हो,
गली-गली हो, गांव गांव हो
शहर-शहर हो।
अब न और मिलावट हो।
(सब ताली बजाते हैं । एक साथ घेरा बना कर गाते है।)
अब मिलावट - होने न देंगे ।
गली-गली - नुक्कड़-नुक्कड़
'नुक्कड़ नाटक'हम खेलेंगे ।
जन-जन जागृति फैलायेंगे
मिलावटखोर को-
बेनकाब कर डालेंगे।
कोई कितना बलशाली हो,
कितना भी प्रभावशाली हो,
जन-जीवन से-
खेल न अब होने देंगे।
(गुस्से में लाल-पीले हुए लाला का अपने रोते हुए बेटे के साथ प्रवेश)
बालक 1 -वो देखो भ्रष्टाचारी लाला।
बालक 2 -महा मिलावटखोर यह लाला।
लाला - पढ़ने लिखने की उम्र तुम्हारी
गली नुक्कड़ हुडदंग मचाते।
मुझ जैसे इज्जतदारों की
खुली सड़क पर टोपी उछालते।
रपट पुलिस मैं लिखवा दूंगा।
सबको जेल में डलवा दूंगा।
बालक - 1 अब पापों का घडा़ फूटेगा
जनमत हमारे साथ चलेगा।
होंगे प्रदर्शन गली व नुक्कड़
करेंगे काले धंधे उजागर।
मानेंगे अब जांच करा कर।
पड़ेंगे जब गालों पर चांटे
उल्टा चोर कोतवाल को डांटे।
लाला - देखूं तो मैं कौन है ऐसा
जो लेगा मुझसे पंगा।
मेरी पहुंच है राजनीति में
सबको देता हूं मैं चंदा।
बडे़-बडे़ आला अफसर
नेताओं का हूं मैं बंदा ।
क्या मवाली क्या हो गुण्डा
चलता मुझ से सबका धंधा।
बच्चे हो तुम-हमसे जीत न पाओगे।
उल्टा नुकसान उठाओगे।
बालक - तोडे़गे यह भ्रष्ट कुचक्र।
यही हमारा है संकल्प
काली कमाई के रस्ते बंद
नहीं मिलेगा कोई विकल्प।
गली-गली में होंगे प्रदर्शन।
फूंकेगे भ्रष्टाचार के पुतले
अधिकारी,लाला ,गुण्डे
बेनकाब होंगे सब चेहरे
(सब लाला को पकड़ कर उसका घिराव करते है ।उसके चारों तरफ घेरा बना कर गाते है। लय में ढ़पली और ताली बजाते हैं। )
बालक 3- इसको पकडो़ । इसको जकडो।
बालक 5- इसका सब घेराव करो।
बालक 6- नकली दवा दे- बुधिया को मारा।
बालक 2- नकली दारु से - घर बर्बाद किये।
बालक 3- बिगाडा़ स्वास्थ मिलावट से-
नकली घी मसालों से-
बालक 1- मिलावटखोरी का- जाल बिछाया।
इसको पकडो-इसको पकडो़।
सब इसका घेराव करो।
सभी बालक नहीं छोडे़गा यह काले धंधे,
गली-गली में पुतला फूंको ।
इसको पकडो़-इसको पकडो़।
सब इसका घेराव करो।
अफसर के दफ्तर पर
नेताओं की कोठी घर पर
भरे बाजारों में-चौराहे चौराहों पर
विधानसभा और संसद पर
हम अब बिल्कुल नहीं रुकेंगे
नुक्कड़-नुक्कड़-नाटक करेंगें।
नुक्कड़-नुक्कड़-नाटक करेंगें।
(लाला मुंह छिपाता है। हाथ जोड़ता है। माफी मांगता है।)
लाला - माफ कर दो। माफ कर दो।।
अब कभी न करुं मिलावट,
नकली का सब चक्कर छोडूं।
भ्रष्टाचार से कर ली तौबा .
सामने सबके कान मैं पकडूं।
खाकर कसम यह प्रण करता,
जन-जीवन से कभी न खेलूं।
खोल के रख दीं मेरी आंखे,
यह उपकार कभी न भूलूं।।
एक आखिरी मौका दे दो।
माफ कर दो। माफ कर दो।।
मुझको बच्चों माफ कर दो-
नोट- इस 'नुक्कड नाटक' के मंचन करने अथवा किसी भी प्रकार का उपयोग करने से पूर्व। लेखक की स्वीकृति लेना आवश्यक है।
✍️ धनसिंह 'धनेन्द्र'
श्री कृष्ण कालौनी
गली 1/5, चन्द्र नगर,
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
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