मंगलवार, 1 जनवरी 2019

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष राजेंद्रमोहन शर्मा श्रृंग पर केंद्रित डॉ मनोज रस्तोगी का आलेख ---

 





श्री राजेंद्र मोहन शर्मा श्रृंग 
का जन्म अपनी ननिहाल चंदौसी में ज्येष्ठ कृष्णा अमावस्या विक्रमी संवत 1991 तदनुसार 12 जून 1934 को हुआ। आपके पिता पंडित रामगोपाल शर्मा झांसी में नायब तहसीलदार थे। आप मूल रूप से काशीपुर के रहने वाले थे। वर्ष 1958 में आप मुरादाबाद में आकर बस गए। आपकी माता जी का नाम जानकी देवी शर्मा था।

आप की प्रारंभिक शिक्षा झांसी तथा काशीपुर में हुई। वर्ष 1950 में आपने उदय राज हिन्दू हाई स्कूल काशीपुर से हाई स्कूल, वर्ष 1952 में श्यामसुंदर मैमोरियल कॉलेज चंदौसी से इंटरमीडिएट, वर्ष 1954 में इसी कॉलेज से बीए, वर्ष 1971 में हिंदू कॉलेज मुरादाबाद से हिंदी में स्नातकोत्तर की परीक्षाएं उत्तीर्ण कीं। स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के पश्चात 24 जुलाई 1954 को विद्युत विभाग में उपखंड अधिकारी मैनपुरी कार्यालय में पर्यवेक्षक पद पर आप की पहली नियुक्ति हुई। विद्युत विभाग की सेवा छोड़कर वर्ष 1957 में आपने उत्तर रेलवे प्रधान कार्यालय बड़ौदा हाउस नई दिल्ली की सामान्य शाखा में लिपिक पद पर कार्यभार ग्रहण कर लिया। वर्ष 1958 में आप का स्थानांतरण मुरादाबाद हो गया। विभिन्न पदों पर कार्य करने के उपरांत वर्ष 1996 में आप अधीक्षक यांत्रिक शाखा के पद से सेवानिवृत्त हुए।

 5 दिसंबर 1962 को मुरादाबाद के मोहल्ला किसरौल, दीवान का बाजार निवासी वैद्य विशम्भर नाथ त्रिवेदी की सुकन्या लक्ष्मी त्रिवेदी से आपका विवाह हुआ। आप के चार पुत्र अनुराग मिश्र, मुकुल मिश्र, पराग मिश्र, दीपक मिश्र तथा दो पुत्रियां अल्पना शर्मा तथा गरिमा शांख्यधार हैं।

 वर्ष 1950 में जब वह हाई स्कूल के छात्र थे, आपकी रुचि लेखन कार्य की ओर प्रवृत हुई और वह कविताएं, लेख, कहानी, रेखाचित्र, संस्मरण, एकांकी लिखने लगे। उनकी रचनाएं देश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं साहित्य संदेश (आगरा), सरस्वती संवाद (आगरा ) , स्वतंत्र भारत( लखनऊ), भारत( प्रयाग),  आज(वाराणसी), नवयुग (जयपुर), उल्का (लखनऊ), आदर्श (कोलकाता), विश्वज्योति (होशियारपुर), लोकतंत्र (काशीपुर), नवनीत( मुंबई), नवभारत टाइम्स (दिल्ली), प्रदेश पत्रिका (मुरादाबाद) में प्रकाशित भी हुई । उनकी काव्य रचनाएं श्रृंग, कहानियां ऋतुराज और हास्य व्यंग्य कविताएं मच्छर मुरादाबादी उपनाम से  प्रकाशित हुई। स्वतंत्र रूप से उनका प्रथम गीत संग्रह 'अर्चना के गीत' वर्ष 1960 में प्रकाशित हुआ। एक लंबे समय अंतराल के पश्चात मुरादाबाद के साहित्यकार योगेंद्र वर्मा व्योम के सद्प्रयासों से प्रबंध काव्य 'शकुंतला' और गीत संग्रह 'मैंने कब ये गीत लिखे हैं' वर्ष 2007 में प्रकाशित हुए। उनकी अप्रकाशित रचनाओं में मुक्तक शतक (मुक्तक संग्रह), गहरे पानी पैठ (लघुकथा संग्रह), श्रृंगारिकता( मुक्त छंद), सीख बड़ों ने हमको दी (बालोपयोगी कविताएं), भूली मंजिल भटके राही, अंबर के नीचे (कहानी संग्रह), अंतर्दृष्टि , लेखांजलि, साहित्य के गवाक्ष में मुरादाबाद (मुरादाबाद के साहित्यकारों के व्यक्तित्व व कृतित्व पर विवेचनात्मक लेख) उल्लेखनीय हैं। इसके अतिरिक्त उनकी रचनाएं तीर और तरंग, उन्मादिनी, स्वप्न गीत, जय जवान जय किसान, युद्ध नद के किनारे, ज्योति पुरुष, नई काव्य प्रतिभाएं एवं 31 अक्टूबर के नाम आदि साझा संकलनों में भी प्रकाशित हुईं। उन्होंने मोदी जीरॉक्स रामपुर के तकनीकी कार्यक्रम लीडरशिप थ्रू क्वालिटी की तीन अंग्रेजी पुस्तकों  का हिंदी अनुवाद भी किया। उन्होंने एक हस्तलिखित मासिक पत्र 'साहित्य संवाद' का भी संपादन किया। आकाशवाणी के रामपुर केंद्र से भी उनकी रचनाओं का समय-समय पर प्रसारण होता रहा।


 *हिन्दी साहित्य संगम का किया गठन*

 वर्ष 1960 में उन्होंने स्थानीय साहित्यकारों के साथ 'हिन्दी साहित्य संघ' की स्थापना की। इस संस्था के माध्यम से वह समय-समय पर काव्य गोष्ठियों का आयोजन करते रहे। वर्ष 1964 में इस संस्था का नाम 'हिंदी साहित्य संगम' कर दिया गया। वर्तमान में भी यह संस्था संचालित हो रही है। इस संस्था  द्वारा प्रत्येक माह के प्रथम रविवार को काव्य गोष्ठी का आयोजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक वर्ष हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या 13 सितंबर को एक साहित्यकार को हिंदी साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित किया जाता है। प्रत्येक वर्ष दिसंबर माह में एक साहित्यकार को श्री राजेंद्र मोहन शर्मा श्रृंग स्मृति सम्मान से सम्मानित किया जाता है। वर्तमान में इसके अध्यक्ष राम दत्त द्विवेदी हैं।

 *पंडित नेहरू की स्मृति में प्रकाशित किया था साझा काव्य संग्रह महामानव नेहरू* 

पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन पर वर्ष 1964 में उन्होंने हिंदी साहित्य संगम की ओर से साझा काव्य संग्रह 'महामानव नेहरू' प्रकाशित किया था। इसका संपादन उन्होंने, सुशील दिवाकर (हुल्लड़ मुरादाबादी) और संदेश भारती ने किया था। प्रकाशन समिति के अध्यक्ष ब्रह्मानंद राय, उपाध्यक्ष मनोहर लाल वर्मा तथा मोहदत्त साथी थे। इस संकलन में 74  साहित्यकारों की रचनाएं शामिल हैं। इस संकलन का विमोचन 27 मई 1965 को हिंदू महाविद्यालय के सभागार में केजीके महाविद्यालय मुरादाबाद के तत्कालीन हिंदी विभागाध्यक्ष महेंद्र प्रताप के कर कमलों द्वारा हुआ।

 *विभिन्न संस्थाओं से रहा जुड़ाव* 

 श्रृंग जी ने अखिल भारतीय स्वतंत्र लेखक मंच नई दिल्ली की जनपदीय शाखा की मुरादाबाद में स्थापना की तथा उसके अध्यक्ष रहे । इसके अतिरिक्त वह राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति, एकता साहित्यिक मंच और विविध कला संगम आदि संस्थाओं से भी जुड़े रहे।

  *विभिन्न संस्थाओं ने किया सम्मानित*

 अखिल भारतीय कला संस्कृति साहित्य परिषद मथुरा द्वारा उन्हें उनकी कृति अर्चना के गीत पर साहित्यालंकार की उपाधि से सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त साहू शिव शक्ति शरण कोठीवाल स्मारक समिति, ज्योत्सना, पुरालेखन केंद्र, सागर तरंग प्रकाशन, केंद्रीय सचिवालय हिंदी परिषद नई दिल्ली, सरस्वती साधना परिषद मैनपुरी, विप्रा कला साहित्य मंच द्वारा भी उन्हें सम्मानित किया गया। उनका निधन 17 दिसंबर 2013 को हो गया।

✍️ डॉ मनोज रस्तोगी

8, जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नम्बर 9456687822

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