श्री वीरेंद्र कुमार मिश्र का जन्म मुरादाबाद में 3 फरवरी 1922 (शैक्षिक अभिलेखानुसार 1 जुलाई 1922) को हुआ। आपके पितामह डॉ मुन्नालाल उस समय के चर्चित चिकित्सक थे तथा पिता पंडित मुरारी लाल रेल विभाग में कार्यरत थे। आप की माता जी का नाम सावित्री देवी था।
श्री मिश्र ने राजकीय हाई स्कूल नजीबाबाद (जिला बिजनौर) से कक्षा 3 व 4 की परीक्षा उत्तीर्ण की। उसके बाद उन्होंने राजकीय इंटर कॉलेज मुरादाबाद में प्रवेश ले लिया। यहां से वर्ष 1938 में हाईस्कूल और वर्ष 1940 में इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्ष 1941 में अपने प्रयाग केंद्र से साहित्य रत्न की उपाधि प्राप्त की। वर्ष 1945 में व्यक्तिगत परीक्षार्थी के रूप में सीनियर कैंब्रिज की परीक्षा उत्तीर्ण की। उसके पश्चात एक विषय अंग्रेजी से इंटरमीडिएट की परीक्षा वर्ष 1946 में उत्तीर्ण की तथा वर्ष 1949 में एक विषय अंग्रेजी लेकर स्नातक किया। वर्ष 1950 में बलवंत राजपूत कॉलेज आगरा से तीन माह का रिफ्रेशर कोर्स किया और उसके पश्चात वर्ष 1951 में आगरा विश्वविद्यालय से हिंदी में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की । इतने अध्ययन के बाद भी आप को सन्तोष नहीं हुआ और आप ने वर्ष 1954 में केजीके महाविद्यालय में स्नातकोत्तर कक्षा अंग्रेजी में प्रवेश ले लिया परंतु एक अंग्रेजी प्रवक्ता जो ईसाई थे, से हिंदू धर्म की आलोचना करने पर विवाद हो गया। परिणाम यह हुआ कि उनकी उपस्थिति कम कर दी गई और वे परीक्षा में नहीं बैठ सके। बाद में वर्ष 1957 में उन्होंने संस्कृत विषय में स्नातकोत्तर उपाधि आगरा विश्वविद्यालय से प्राप्त की। वर्ष 1964 में डॉ गोविंद त्रिगुणायत के निर्देशन में हिंदी के नवीनतम नाट्यरूप- उद्भव विकास और शिल्प विधि विषय पर शोध हेतु आप की रूपरेखा स्वीकृत हुई परंतु विद्यालय से सेवा मुक्त कर दिए जाने से उत्पन्न विवाद में उलझ जाने के कारण आपका शोध कार्य पूर्ण न हो सका।
वर्ष 1944 में आपकी अस्थाई नियुक्ति जूनियर हाई स्कूल मुरैना (ग्वालियर) में हो गई लेकिन तीन माह पश्चात वह नौकरी छोड़कर मुरादाबाद आ गए। फरवरी 1945 में आपके मामा श्री कैलाश चंद्र त्रिवेदी जो झांसी में डिप्टी कलेक्टर थे, ने झांसी में मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस में ऑफिसर ट्रेनिंग के लिए भर्ती करा दिया। नौ माह बाद द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो जाने के कारण यह ट्रेनिंग भी समाप्त हो गई । बाद में वर्ष 1946 में वह ऋषिकुल जूनियर हाई स्कूल कटघर मुरादाबाद में अध्यापक हो गए। वर्ष 1947 में उनकी नियुक्ति एच एस बी इंटर कॉलेज मुरादाबाद में अध्यापक के पद पर हो गई जहां से वर्ष 1948 में उनकी नियुक्ति हैविट मुस्लिम इंटर कॉलेज मुरादाबाद में हो गई। वर्ष 1964 में विद्यालय के तत्कालीन प्रबंधक ने रुष्ट होकर उन्हें निलंबित कर दिया जिसके खिलाफ वह उच्च न्यायालय चले गए । इसी समय उन्होंने लाला राम कीर्ति शरण सोशलिस्ट के कहने पर अपने अंतरंग मित्र शिवशंकर सक्सेना तथा कुमार आनंद सिंह के सहयोग से लाइनपार में आचार्य नरेंद्र देव श्रमिक जूनियर हाई स्कूल की स्थापना की। वर्ष 1965 में उच्च न्यायालय के आदेश से उनका निलंबन समाप्त हो गया और उन्होंने पुनः हैबिट मुस्लिम इंटर कॉलेज में अध्यापक के पद पर कार्यभार ग्रहण कर लिया। वर्ष 1982 में वह सेवानिवृत्त हो गए।
वर्ष 1948 जनवरी में श्री मिश्र का विवाह डॉ रामचंद्र शर्मा निवासी नवाबपुरा मुरादाबाद की पुत्री प्रकाश देवी से हुआ। आपके बड़े सुपुत्र मधुप मिश्र वर्तमान में रेती स्ट्रीट में ही निवास कर रहे हैं । छोटे सुपुत्र महेंद्र मिश्र इटौंजा (लखनऊ) में एक विद्यालय संचालित कर रहे हैं। एक पुत्र मनोज मिश्र का निधन हो चुका है। आपकी तीन पुत्रियों रेखा, पूर्णिमा और रीता में पूर्णिमा का निधन हो चुका है।
छात्र जीवन में पंडित अंबिका प्रसाद जी, पंडित मूल चंद्र शर्मा तथा हिंदी शिक्षक पंडित रघुनंदन प्रसाद जी की प्रेरणा से साहित्य के प्रति रुचि जागृत हुई और वह लेखन कार्य करने लगे। वर्ष 1940 में उन्होंने विद्यालय के वार्षिक उत्सव में मंचन के लिए लघु नाटक 'उद्धार' की रचना की। इसके बाद उन्होंने अनेक कहानियों, कविताओं और नाटकों की रचना की। वर्ष 1958 में उनकी प्रथम नाट्य कृति छत्रपति शिवाजी प्रकाशित हुई । इस कृति का द्वितीय संस्करण वर्ष 1990 में प्रकाशित हुआ। उनका कहानी संग्रह पुजारिन वर्ष 1959 में प्रकाशित हुआ। इसमें उनकी 14 कहानियां संकलित हैं। इस कृति का द्वितीय संस्करण वर्ष 1992 में प्रकाशित हुआ इस कृति की भूमिका डॉ गोविंद त्रिगुणायत ने लिखी। उनकी इस कृति का समीक्षात्मक अध्ययन वर्ष 1995 में (लेखक - जयप्रकाश तिवारी जेपेश) अहिवरण प्रकाशन नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित हुआ। वर्ष 1990 में नाटक गुरु गोविंद सिंह, वर्ष 1992 में नाटक सम्राट हर्ष और आचार्य चाणक्य प्रकाशित हुए । उनकी अप्रकाशित नाट्यकृतियों में शेरशाह सूरी और विक्रमादित्य उल्लेखनीय हैं । उन्होंने हाई स्कूल, प्रथमा और अन्य समकक्ष परीक्षाओं के लिए उपयोगी पुस्तक विनोदिनी हिंदी साहित्य सफलता की भी रचना की।
नाटक छत्रपति शिवाजी के लिए शारदा विद्यापीठ द्वारा उन्हें साहित्य वाचस्पति उपाधि से सम्मानित किया गया।इसके अतिरिक्त साहू शिव शक्ति शरण कोठीवाल स्मारक समिति मुरादाबाद समेत अनेक संस्थाओं द्वारा उन्हें समय-समय पर सम्मानित भी किया जाता रहा। उनका निधन 28 अप्रैल 1999 को हुआ।
✍️ डॉ मनोज रस्तोगी
8,जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नम्बर 9456687822
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