मंगलवार, 1 जनवरी 2019

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष कैलाश चन्द्र अग्रवाल पर केंद्रित डॉ मनोज रस्तोगी का आलेख

 




छायावादोत्तर काल के सशक्त साहित्यकार कैलाश चन्द्र अग्रवाल का जन्म 18 दिसम्बर 1927 को मुरादाबाद के मंडी बांस मुहल्ले में हुआ । आपके पिता साहू रामेश्वर शरण अग्रवाल सुसम्पन्न सराफा व्यवसायी थे । आपकी माता का नाम श्रीमती राम सुमरनी देवी था जो अमरोहा निवासी श्री ब्रज रत्न अग्रवाल की एकमात्र सन्तान थीं। आपके पितामह भूकन शरण अग्रवाल नगर के प्रतिष्ठित साहूकार थे।

कैलाश जी की प्रारम्भिक शिक्षा अग्रवाल पाठशाला मुरादाबाद में हुई । स्व० पंडित लेखराज जी शर्मा आपकी प्राथमिक शिक्षा के गुरू थे । आपने वर्ष 1944 एवं 1946 में क्रमशः हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की । वर्ष 1948 में आपने एसएम कालेज चंदौसी में स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की । आपने हिन्दी में स्नातकोत्तर की उपाधि वर्ष 1950 में लखनऊ विश्वविद्यालय से प्राप्त की तदुपरांत वर्ष 1952 में आगरा विश्वविद्यालय से एलएलबी की उपाधि प्राप्त करने के बाद वह मुरादाबाद में वकालत करने लगे।
      आपका विवाह तीन मार्च सन् 1952 को तहसील जानसठ (जनपद मुजफ्फरनगर) निवासी श्री हनुमान प्रसाद जी की सुपुत्री संतोष से हुआ । आपके ज्येष्ठ पुत्र आलोक चन्द्र अग्रवाल का 3 जनवरी2008 को स्वर्गवास हो चुका है ।उनके पुत्र अक्षय अग्रवाल हैं । द्वितीय पुत्र अतुल चन्द्र अग्रवाल पैतृक व्यवसाय (सराफा) में संलग्न हैं । उनके पुत्र डॉ मनुशेखर अग्रवाल हैं ।
   वकालत के दौरान आपके पिता का स्वास्थ्य निरंतर खराब रहने लगा । फलतः अपने पिता श्री का आदेश मानकर आप सन 1962 में वकालत छोड़कर अपने पैतृक व्यापार में लग गये । अंतिम समय तक आप इसी व्यापार से जुड़े रहे ।
  वर्ष 1945 में, जब वह इंटरमीडिएट के छात्र थे किया उनकी रुचि काव्य लेखन की ओर अग्रसर होने लगी। अपने काव्य गुरु के संबंध में कैलाश चन्द्र अग्रवाल के अनुसार सेवानिवृत्त डिप्टी कलेक्टर श्री केशव चन्द्र मिश्र से उन्होंने छन्द आदि का शान प्राप्त किया तदुपरान्त स्व पंडित दुर्गादत्त त्रिपाठी उनके काव्य गुरु रहे । धीरे-धीरे वर्ष 1947 तक उनकी प्रतिभा इतनी विकसित हो गयी कि वह परिपक्वता के साथ छन्दोबद्ध काव्य के रूप में गीत विद्या के माध्यम से अपनी अनुभूतियों को अभिव्यक्त करने लगे।  उनके प्रारम्भिक गीतों का प्रतिनिधि संकलन वर्ष 1965 में "सुधियों की रिमझिम में" स्थानीय आलोक प्रकाशन मंडी बांस के माध्यम से पाठकों को प्राप्त हुआ, जिसमें उनकी 1947 ई. से 1965 ई. तक की काव्य यात्रा के विभिन्न पड़ाव समाहित है। चौसठ गीतों  के इस संकलन के पश्चात कवि की यात्रा वर्ष 1981 में 'प्यार की देहरी' पर पहुंची। प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस कृति में उनके सन 1965 के पश्चात रचे गए 81 गीत संगृहीत हैं । वर्ष 1982 में उनका मुक्तक संग्रह 'अनुभूति' प्रकाशित हुआ, जिसमें वर्ष 1971 से 1981 तक लिखे गए 351 मुक्तक संगृहीत हैं। यह यात्रा आगे बढ़ी और वर्ष 1984 में 'आस्था के झरोखों' से होती हुई वर्ष 1985 में "तुम्हारे गीत -तुम्ही को" गीत संग्रह के माध्यम से हिन्दी साहित्य की गीत विधा के भंडार को भरने तथा छन्दोबद्ध काव्य रचना करने की प्रेरणा देती रही ।वर्ष 1989 में गीत संग्रह "तुम्हारी पूजा के स्वर" पाठकों के सम्मुख प्रभात प्रकाशन दिल्ली द्वारा आया । इसमें आपके जनवरी 1986 से फरवरी 1988 तक रचे गये 71 गीत संगृहीत है। अंतिम सातवीं कृति के रूप उनका गीत संग्रह 'मैं तुम्हारा ही रहूंगा' पाठकों के समक्ष आया। इसका प्रकाशन सन 1993 में हिन्दी साहित्य निकेतन बिजनौर द्वारा हुआ।इसमें उनके अप्रैल सन 1989 से मार्च 1992 के मध्य रचे 71 गीत संगृहीत हैं। कुल मिलाकर 441 गीतों और 351 मुक्तको के माध्यम से हिन्दी काव्य के भंडार में अपना योगदान दिया है । यह मुरादाबाद नगर का गौरव ही कहा जायेगा कि दिल्ली से प्रकाशित राष्ट्रीय दैनिक पत्र 'हिन्दुस्तान' के सम्पादकीय में आपकी काव्य पंक्तियां देश के दिग्गज साहित्यकारों के साथ अनेक बार उद्घृत की गयी ।

  इन संस्थाओं ने किया सम्मान
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हिन्दी की सुविख्यात साहित्यिक संस्था 'दधीचि हिन्दी साहित्य परिषद' सहारनपुर ने  7 दिसम्बर 1985 को आयोजित भव्य समारोह में उनके गीत संग्रह 'आस्था के झरोखों से' को वर्ष 1984 की सर्वश्रेष्ठ काव्य कृति घोषित करते हुए उन्हें  दो हजार पाँच सौ की धनराशि देकर सम्मानित किया और उन्हें 'कवि रत्न' की उपाधि से अलंकृत किया । उन्हें यह सम्मान प्रख्यात साहित्यकार जैनेंद्र कुमार द्वारा प्रदान किया गया।
वर्ष 1982 में मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था राष्ट्र भाषा हिन्दी प्रचार समिति की ओर से आयोजित राजर्षि पुरुषोत्तम दास टण्डन जन्मशती समारोह में
आपका साहित्यिक अभिनंदन किया गया ।
व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर हो चुके हैं शोधकार्य
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कैलाश चंद अग्रवाल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर शोध कार्य भी हो चुके हैं। वर्ष 1992 में कंचन प्रभाती ने कैलाश चंद अग्रवाल के काव्य में प्रणय तत्व शीर्षक से डॉ सरोज मार्कंडेय के निर्देशन में लघु शोध कार्य किया ।तत्पश्चात वर्ष 1995 में उन्होंने डॉ रामानंद शर्मा के निर्देशन में रुहेलखंड के प्रमुख छायावादोत्तर गीतिकार एवं श्री कैलाश चंद अग्रवाल के गीति काव्य का अध्ययन शीर्षक पर शोध कार्य पूर्ण कर पीएच-डी की उपाधि प्राप्त की।
      वर्ष 2002 में गरिमा शर्मा ने डॉ मीना कौल के निर्देशन में स्वर्गीय कैलाश चंद अग्रवाल (जीवन सृजन और मूल्यांकन )शीर्षक से लघु शोध कार्य किया। वर्ष 2008 में श्रीमती मीनाक्षी वर्मा ने डॉ मीना कौल के ही निर्देशन में स्वर्गीय श्री कैलाश चंद अग्रवाल के गीतों का समीक्षात्मक अध्ययन शीर्षक पर शोध कार्य पूर्ण किया।
इन संस्थाओं से रहा जुड़ाव
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कैलाश चन्द्र अग्रवाल वर्ष 1954 से वर्ष 1961 तक मुरादाबाद नगर के हिन्दू स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गोकुल दास गुजराती हिन्दू इंटर कालेज, गोकुल दास गुजराती हिन्दू कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय, प्रताप सिंह कन्या इंटर कालेज तथा राजकला कन्या इंटर कालेज की प्रबन्धकारिणी समितियों के सक्रिय सदस्य रहे । मुरादाबाद की प्राचीन साहित्यिक संस्था 'अन्तरा' के आप संस्थापक सदस्य रहे ।
        वर्ष 1996 में 31 जनवरी को उन्होंने इस नश्वर देह को त्याग दिया ।

✍️ डॉ मनोज रस्तोगी
8, जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नम्बर 9456687822


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