उर्दू भाषा से उनका विशेष लगाव रहा। यही कारण था कि उन्होंने उर्दू विषय में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की। छात्र जीवन में ही विभिन्न शायरों से प्रभावित होकर वह उर्दू में रचनाएं लिखने लगे थे। बाद में प्रसिद्ध शायर उस्ताद अब्र अहसनी गुन्नौरी के संरक्षण में उन्होंने ग़ज़लें और नज़्में लिखनी शुरू की और मुशायरों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने हिंदी में भी गीतों की रचना की। इसी बीच उनका रुझान बाल साहित्य लेखन की ओर हो गया और वे बाल/ शिशु गीत लेखन की ओर अग्रसर हो गए। धीरे-धीरे उनकी बाल रचनाएं देश की प्रमुख बाल पत्रिकाओं नंदन, पराग, बाल भारती, सुमन सौरभ, बाल वाटिका, बाल साहित्य समीक्षा में प्रकाशित होने लगीं और वह बाल कवि के रूप में विख्यात हो गए। जीवन के अंतिम दशक में उनका रुझान अध्यात्म की ओर हो गया और वह भक्ति साहित्य लेखन की ओर अग्रसर हो गए। अनेक भक्ति गीतों के अतिरिक्त उन्होंने माता की भेंटे भी लिखीं। उनकी भेंटों की एक ऑडियो कैसेट 'अंबे मेरी अंबे मां' दिल्ली की एक कंपनी ने रिलीज की। इस कैसेट में गीतकार के रूप में उनका चित्र तो प्रकाशित किया गया लेकिन उनका नाम प्रकाश चंद्र सक्सेना के स्थान पर सत्य प्रकाश सक्सेना छापा। इनके भजनों की एक कैसेट ’खूब सजा दरबार पहाड़ों वाली का’ प्रिया सीरीज उत्तरांचल से रिलीज हुआ। उनकी अनेक रचनाओं का प्रकाशन साझा संकलनों क्या कह कर पुकारूं मैं, प्रेरणा के दीप, जागो प्यारे हिंदुस्तान, प्रणाम काव्यधारा, बाल सुमनों के नाम, नेह के सरसिज ,उपासना में हो चुका है। उनकी मात्र दो काव्य कृतियां ’सीता का अंतर्द्वंद’ और ’श्री करवाचौथ की व्रत कथा’ ही प्रकाशित हो सकी। वर्तमान में उनकी प्रकाशित कृतियां भगवान श्री कृष्ण, भक्त श्रेष्ठ प्रहलाद, श्री कृष्ण भक्त नरसी, द्रौपदी की रक्षा, श्री वैष्णो मां गुणगान तथा दिग्गज मुरादाबादी की श्रेष्ठ बाल कविताएं की पांडुलिपियां अनुपलब्ध हैं । आकाशवाणी के रामपुर केंद्र से भी उनकी अनेक रचनाओं का प्रसारण हुआ। रायबरेली में उन्हें मलिक मोहम्मद जायसी एवं महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान से सम्मानित किया गया। मुरादाबाद के साहित्यिक मंच ’संकेत’ द्वारा वर्ष 2003 में उन्हें निरंकार देव सेवक सम्मान से सम्मानित किया गया। वह रामपुर की संस्था काव्य धारा के संस्थापक थे । एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली द्वारा स्वीकृत सरफराज अली के शोध प्रबंध ’स्वातंत्र्योत्तर बाल साहित्य का समीक्षात्मक अध्ययन’( शोध निदेशिका मीना कौल) में भी उनका यथोचित उल्लेख है।
उनका विवाह शांति सक्सेना से हुआ। उनके तीन पुत्रियां निधि सक्सेना , विधि सक्सेना, सोनिया सक्सेना तथा एक पुत्र सोनू सक्सेना है । राजकीय वाकर हायर सेकेंडरी स्कूल रामपुर में शिक्षक पद से सेवानिवृत दिग्गज मुरादाबादी का निधन मंगलवार 21 जुलाई 2009 को रात्रि आठ बजे उनके कटघर, छोटी मंडी स्थित आवास पर हुआ ।
✍️ डॉ मनोज रस्तोगी
8,जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 9456687822
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