मंगलवार, 1 जनवरी 2019

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष ईश्वर चन्द्र गुप्त ईश पर केंद्रित डॉ मनोज रस्तोगी का आलेख






 

स्मृतिशेष श्री ईश्वर चंद्र गुप्त ईश का जन्म 7 दिसंबर 1925 को मुरादाबाद में हुआ था। आपके पिता श्री शांति प्रसाद अग्रवाल खिलौनों के निर्माता व व्यापारी थे। आप की माता जी का नाम श्रीमती भगवती देवी था। चार भाइयों श्री राजेश्वर प्रसाद अग्रवाल, श्री मिथिलेश्वर प्रसाद अग्रवाल,श्री हृदयेश्वर प्रसाद अग्रवाल और एक बहन श्रीमती धर्मवती में सबसे बड़े श्री ईश्वर चंद्र गुप्त ईश के पितामह श्री कुंज बिहारी अग्रवाल थे।
आप की शिक्षा दीक्षा मुरादाबाद में ही हुई। आप ने वर्ष 1952 में हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग से साहित्य रत्न की उपाधि प्राप्त की। वर्ष 1954 में स्नातक, वर्ष 1957 में बीटी, वर्ष 1962 में स्नातकोत्तर (अर्थशास्त्र) एवं वर्ष 1973 में स्नातकोत्तर (समाजशास्त्र) की उपाधि प्राप्त की। वर्ष 1957 में आप की नियुक्ति परसादी लाल झंडू लाल रस्तोगी इंटर कॉलेज में अध्यापक के रूप में हो गई। वर्ष 1965 में आप इसी विद्यालय में अर्थशास्त्र प्रवक्ता के पद पर पदोन्नत हुए तथा वर्ष 1985 -86 में प्रधानाचार्य पद पर कार्यरत रहे। कुछ समय उन्होंने महाराजा अग्रसेन इंटर कालेज में भी अध्यापन कार्य किया ।
  उनका विवाह काशीपुर के व्यापारी श्री कल्लू मल अग्रवाल की सुपुत्री दयावती से वर्ष 1941 में हुआ। आप के सबसे बड़े सुपुत्र श्री सर्वेश चंद्र गुप्ता पंजाब नेशनल बैंक में वरिष्ठ प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त होकर वर्तमान में मेरठ निवास कर रहे हैं। मंझले पुत्र डॉ आदेश चन्द्र अग्रवाल रामनगर में फार्मास्यूटिकल कंपनी एमआर  हेल्थ केयर में सीईओ हैं तथा सबसे छोटे सुपुत्र उपदेश चंद्र अग्रवाल मुरादाबाद के प्रसिद्ध आयकर व्यापार कर अधिवक्ता हैं। उनकी भी रुचि का काव्य लेखन में है। आपकी सुपुत्रियों आभा एवं शोभा का निधन हो चुका है तथा अमिता वर्तमान में सहारनपुर में निवास कर रही हैं।
   साहित्य के प्रति उनकी रुचि किशोरावस्था से ही थी। काव्य लेखन की शुरुआत के संदर्भ में वे स्वयं लिखते हैं ---"मेरी आयु सन 1933 में लगभग 9 वर्ष की थी। मेरी पूज्या मां जब मेरे  श्रद्धेय मामाजी को रामनगर (नैनीताल) कभी पत्र लिखवाती तो प्रायः  वह लय के साथ तुकबंदी में कुछ पंक्तियां भी मुझे बोल कर  लिखवा देती थीं जिन्हें मैं भी तब गुनगुनाया करता था। सम्भवतः तभी से तुकबंदी की रचना मेरे मानस पटल पर भी पाषाण में उत्कीर्ण जैसी अंकित हो गई होंगी, जो आज तक प्रेरक बनकर मेरे मौन अंतः करण को प्रति ध्वनित कर रही हैं । अतः मैं इस तुकबंदी का श्रेय प्रेरक स्त्रोत अपनी परम पूज्या प्रिय मां भगवती देवी को ही मानता हूं।" (कुछ मेरी कलम से - ईश अंजली)
    वर्ष 1991 में उनकी पहली काव्य कृति 'ईश गीति ग्रामर' प्रकाशित हुई। इस कृति में उन्होंने अंग्रेजी ग्रामर को पद्यबद्ध किया है। प्रत्येक पद में कही बात को स्पष्टीकरण एवं उदाहरण द्वारा भी समझाया गया है।
     वर्ष 1994 में उनकी दूसरी काव्य कृति 'चा का प्याला' प्रकाशित हुई। इस कृति में उन्होंने भारत में चाय का प्रवेश, चाय की महिमा, चाय और समाज के साथ-साथ भारत के इतिहास की झलक को 140 पदों में प्रस्तुत किया है।
      तीसरी कृति 'ईश दोहावली' का प्रकाशन भी वर्ष 1994 में हुआ। इसमें वंदना, नीतिपरक, धर्माचरण स्वास्थ्य, श्रृंगार और हास्य व्यंग्य के 151 दोहे हैं।    
      चौथी कृति 'ईश अर्चना' का प्रकाशन वर्ष 1995 में हुआ। इस कृति में उनकी वर्ष 1941 से 1995 तक की ईश वंदना विषयक कविताओं का संग्रह है।    
      वर्ष 1997 में प्रकाशित 'ईश अंजलि' उनकी पांचवी कृति है। इस कृति में उनकी 1940 से 1996 तक की 63 रचनाएं हैं। छठी कृति 'हिंदी के गौरव' का प्रकाशन वर्ष 2000 में हुआ। इस कृति में हिंदी के प्रमुख कवियों एवं लेखकों का जीवन परिचय, कृतित्व एवं काव्यगत विशेषताओं को पद्य गद्य में प्रस्तुत किया गया है । उनकी अंतिम सातवीं कृति चिंतन मनन वर्ष 2004 में प्रकाशित हुई।
      ईश जी की रचनाएं विभिन्न साझा काव्य संकलनों  उन्मादिनी (संपादक शिवनारायण भटनागर साकी ), समय के रंग (संपादक अशोक विश्नोई व डॉ प्रेमवती उपाध्याय), उपासना (संपादक अशोक विश्नोई ), 31 अक्टूबर के नाम( संपादक अशोक विश्नोई ) आदि में भी प्रकाशित हुईं।
       कविवर मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, पंडित ज्वाला दत्त शर्मा जन्मशताब्दी कथा सम्मान के अतिरिक्त विभिन्न संस्थाओं कार्तिकेय, लायंस क्लब दीपशिखा, विभावरी (सहारनपुर), जनता सेवक समाज, डॉ हितेश चंद्र गुप्त मेमोरियल सोसायटी, साहू शिवशक्ति शरण कोठीवाल स्मारक समिति, अखिल भारतीय साहित्यकार अभिनंदन समिति (मथुरा) सीनियर सिटीजन वेलफेयर सोसाइटी, सागर तरंग प्रकाशन, आकार आदि द्वारा भी समय-समय पर उन्हें सम्मानित किया गया।
         महानगर की विभिन्न साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं से भी ईश जी जुड़े रहे। वह मुरादाबाद की प्राचीन साहित्यिक संस्था हिंदी साहित्य सदन के संस्थापक सदस्य थे। उनका निधन 26 दिसंबर 2011 को उनके कानूनगोयान स्थित आवास पर हुआ।
:::::::::::::प्रस्तुति::::::::
डॉ मनोज रस्तोगी
8, जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नम्बर 9456687822

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