सोमवार, 21 नवंबर 2022

मुरादाबाद की साहित्यकार हेमा तिवारी भट्ट की कविता ....गुरु चेला


एक दाता,

एक ग्राहक

एक सम्पन्न,

एक विपन्न

एक शीर्ष,

एक चरण,

एक मुखर,

एक मौन

बने रहेंगे 

जब तलक

मैं और तुम।

सब कुछ होगा 

केवल यन्त्रवत

या चित्रवत 

तात्कालिक

अथवा

सूक्ष्म कालिक।

तो चलो बदलें

परिदृश्य

मैं और तुम 

मिलकर

हों दोनों मुखर,

नव विचारों से 

हों दोनों सम्पन्न,

ज्ञान की आभा से

हों दोनों ग्राहक

सद्ज्ञान के

न चरण 

न शीर्ष

दोनों हों 

बस हृदय।

चरण और

शीर्ष के मध्य 

की दूरी जिस दिन

हृदय बन कर मिट जायेगी

पाट लिए जायेंगे,

अज्ञान के सब सागर

उसी दिन।

जी उठेंगी,

पत्थर व कागज की

पाठशालाएं,

हांं, उसी दिन।


✍️ हेमा तिवारी भट्ट 

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत


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