शुक्रवार, 11 नवंबर 2022

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार राम किशोर वर्मा की लघुकथा.....ईमानदार


 "आज पाँच तारीख हो गई शर्मा जी । अभी तक आपके स्टेटमेंट नहीं आये? तीन तक आ जाने चाहिए थे!" -- बड़े बाबू बाबू जी पर बिगड़ रहे थे --"हमें सात को हाई कोर्ट भेजने हैं। हम कब तैयार करेंगे ? आपसे एक अपनी कोर्ट के नक्शे नहीं बन पा रहे?"

   शर्मा जी बोले -- "मैं तीन दिन से छुट्टी पर था । कल ही ऑफिस आया हूँ । मेरे पीछे काम बहुत फैल गया था । उसे समेटा है । रात को घर पर स्टेटमेंट की तैयारी भी कर ली है। कल सुबह ही स्टेटमेंट आपकी टेबिल पर होंगे ।"

   "काम का तो बहाना है । आपको इधर-उधर जुगाड़ भिड़ाने से फुर्सत मिले न!" -- कहते हुए बड़े बाबू कुर्सी से उठे --"मेरी नमाज़ का टाइम हो गया है। मैं मस्जिद में जा रहा हूँ । आज शाम तक हर हाल में स्टेटमेंट मेरे पास आ जाने चाहिए।"

   शर्मा जी ने बड़े बाबू को याद दिलाया --"आप भी बाबू रह चुके हो । अभी तो आपने इधर-उधर झांकना बंद कर दिया है। नौ सौ चूहे खाये बिल्ली हज़ को चली । आज आप ईमानदारी का ढोंग रच रहे हैं तो आपकी नज़र में सब बेईमान हो गये ।"

   बड़े बाबू सब सुनते हुए नमाज पढ़ने के लिए कमरे से तेज कदमों से  बाहर  निकल गये ।

   ✍️ राम किशोर वर्मा 

रामपुर 

उत्तर प्रदेश, भारत


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