शुक्रवार, 11 नवंबर 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विश्नोई की लघुकथा--सभ्यता

   


चौराहे पर गाड़ी और मोटरसाइकिल में टक्कर होते -होते रह गई।तभी मोटरसाइकिल सवार ने गाड़ी चला रहे 75 वर्षीय वृद्ध से कहा

 देख कर नहीं चल सकता जब चलानी नहीं आती तो चलते क्यों हो ? वृद्ध ने विनम्रता से कहा ," बेटा गलती हो गई आइंदा ध्यान रखूंगा।" हाँ हाँ----- इतना ही कह पाया था कि उधर से मोटसाइकिल चालक के

पिता श्री ने उसके पास आकर गाड़ी रोक कर पूछा क्या हुआ बेटा ? ," कुछ नहीं पिता जी बस इसे बता रहा था कि गाड़ी देख कर चलाया कर ।" पिता रामसेवक ने गाड़ी में बैठे महाशय को देख गाड़ी से उतर कर उनके पैर छुये और लड़के के चपत लगाते हुए कहा," मालूम है यह कौन हैं?"ये गाड़ी ये मोटसाइकिल सब इनकी कृपा से है ,माफ़ी मांग इनसे।

    कोई बात नहीं राम सेवक," जाने दो बच्चा है कहा सेठ जी ने " और यह कह कर अपनी गाड़ी बढ़ा दी," ईश्वर का दिया तुम पर सब कुछ है  राम सेवक बस थोड़ी सी सभ्यता की कमी है-- सिखाना जरुर -----"।।

✍️ अशोक विश्नोई


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