शरद
पूर्णिमा रात
अमृत बरसाता चाँद
आती उनकी
याद
चाँद
तूँ मेरा
पहुँचा दें संदेश
पिया रहते
परदेश
रोती
विरह में
सजनी उनकी,नीर
नयनों से
बहाती
✍️ प्रीति चौधरी , गजरौला,अमरोहा
पूर्णिमा रात
अमृत बरसाता चाँद
आती उनकी
याद
चाँद
तूँ मेरा
पहुँचा दें संदेश
पिया रहते
परदेश
रोती
विरह में
सजनी उनकी,नीर
नयनों से
बहाती
✍️ प्रीति चौधरी , गजरौला,अमरोहा
'ठीक है, ठीक है ... तू ही सुन इसे।मुझे समय से पता चल जाता तो इसकी जगह पोता खेलता। गर्भ के पहले ही महीने में उस गाय के दूध से गोली लेनी होती है जिसके नीचे बछड़ा हो ......बस। अब ये तीन साल की हो गयी है,जल्द ही खुशखबरी दो मुझे और हाँ इस बार मुझे पहले ही बता देना .......तीसरे महीने पर चेक भी करा लेगे लड़का हुआ तो ठीक ,नही तो .......। दूसरी पोती का मुंह नहींं देखना मुझे।
अक्सर रुचि सासु माँ की यही बातें सुनती थी .........।
रुचि ने चुपके से गुडि़़या के कान में कहा,गुडि़़़या तेरे साथ खेलने के लिये 6 महीने बाद बहन या भाई आने वाला है।
अपनी सासु माँ से आँख बचाकर रुचि अपने मुंह पर हाथ रख बाथरूम की तरफ भागी।
गुडिया अपनी दादी को देख मुस्कुरायी और आगंन में खेलने लगी ।
अब बाथरूम से आती आवाज उसकी दादी तक नही जा रही थी....
✍️ प्रीति चौधरी, गजरौला, अमरोहा
आज रागिनी शादी के बाद से पहली बार भाई दूज पर मायके आई। अचानक माँ की नज़र रागिनी के बाजू पर पड़े गहरे नीले निशान पर गई जिसे रागिनी छिपाने की कोशिश कर रही थी---। यह क्या हुआ -- -माँ ने घबराकर पूछा ? " कुछ नहीं माँ बस बैड से गिर गई थी "। "ऐसे कैसे गिर गई-------माँ ने फिर पूछा "।जैसे वर्षों से तुम गिरती रहीं हो माँ बस वैसे ही-------मैं भी --------।।
✍️प्रीति चौधरी, अमरोहा
आगमन की तैयारी वही कर रहा था ।उसने सुना था कि नए ज़िलाअधिकारी सख़्त है इसलिए वह पूरी कोशिश कर रहा था कि कोई कमी न रह जाए।
सब तैयारी हो गयी थी.........
ज़िलाधिकारी की गाड़ी कलेक्ट्रेट पर आ गयी थी ....
रोहित फूलों का बुके लेकर गाड़ी की ओर दौड़ा ।
‘योर मोस्ट वेलकम सर ’ रोहित ने कहा ।
जैसे ही उसने ज़िलाधिकारी को देखा ,उसे उनका चेहरा जाना पहचाना लगा.....
वह स्मृतियों में खो गया .....रमेश ...क्या ये रमेश है....जो सरकारी स्कूल में पढ़ता था जिसकी माँ हमारे यहाँ काम करने आती थी और जो मेरी कॉन्वेंट स्कूल की पुरानी किताब भी पढ़ने के लिए ले जाता था ......नहींं ,नहींं ....ऐसा नही हो सकता.......
अचानक उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा ,वह चौक गया। ज़िलाधिकारी महोदय.........जी... मैं वही रमेश हूँ ,रोहित जी ...सरकारी स्कूल में पढ़ने वाला .....आपकी किताब .........
कैसे है आप ,बहुत सालों बाद मुलाक़ात हुई......
रोहित अभी तक पुरानी स्मृतियों में खोया था.........
✍️ प्रीति चौधरी, गजरौला, अमरोहा
✍️प्रीति चौधरी, गजरौला,अमरोहा
फ़ुरसत से बताना है
दिल में दबी कुछ बातों को
चुपके से सुनाना है
आँखो से निकले नहीं जो
आँसू जम गये हैं भीतर
बैठो पास तुम एक रोज़
मुझे उनको पिघलाना है
बहुत कुछ कहना है तुमसे
परतें खुलेंगी ,वो बरसों से
इंतज़ार में है एक दोस्त के
अपनी छुअन से एक रोज़
तुमको उन्हें सहलाना है
बहुत कुछ.......
अधर ये मौन रहेंगे
पर नयन तुमसे सब कहेंगे
रिक्त अंतस में एक रोज़
तुमको उतर जाना है
बहुत कुछ कहना है तुमसे
फ़ुरसत से बताना है
✍️ प्रीति चौधरी, गजरौला,अमरोहा
आसपास से आवाज़ आ रही थी,सब विवाहित जोड़े पूजा करने अपनी अपनी छत पर थे।रागिनी अब भी एकटक चाँद को देख रही थी ।पहला करवाचौथ .........
शादी के जोड़े में वह दुल्हन की तरह सजी हुई राज का इंतज़ार कर रही थी ।हाथों में मेहंदी ,आँखो में काजल ,माथे की बिंदिया ,चूड़ियों की खनखन उसके मन को गुदगुदा रही थी ।आज उसने तैयार होने में कोई कसर नही छोड़ी .......
चाँद की रोशनी में रागिनी चाँद जैसी ही लग रही थी...बहुत ख़ूबसूरत.......
चाँद को देखते हुए उसके लबों पर मुस्कराहट और आँखो में हया तैर रही थी .....
कार के हॉर्न की आवाज़ सुनते ही वह झट से नीचे आयी।राज फ़ाइल हाथ में लिए तेज़ी से कमरे की तरफ़ चले गये ।’बहुत भूख लगी है रागिनी ,खाना लगा दो ....
आज मीटिंग देर तक चली।’राज हाथ धोते धोते बता रहा था।’खाना तैयार है ,आज करवाचौथ है ,पहले चाँद को जल दे आते हैं ।’रागिनी जल्दी से लोटा लेकर छत की ओर चल दी ।
आउच...........रागिनी चिल्लायी ......
उसके पैर से ख़ून निकल रहा था .....
‘देखकर नही चल सकती तुम ।लगता है कुछ बहुत गहरा चुभ गया है ।’राज रागिनी के पैर को देख रहा था।
‘सचमुच कुछ बहुत गहरा ही चुभा है ।’रागिनी ने मन में सोचा।
उसकी आँखो का काजल फैलता जा रहा था।
✍️प्रीति चौधरी
गजरौला,अमरोहा