गुरुवार, 29 अक्तूबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा की साहित्यकार प्रीति चौधरी की लघुकथा -तंग मानसिकता

 


'माँ जी,देखो गुड़िया दादी कहना सीख गयी ' रुचि ने उत्साहित  होकर सासुमाँ को बताया।

'ठीक है, ठीक है ...   तू ही सुन इसे।मुझे समय से पता चल जाता तो इसकी जगह  पोता खेलता। गर्भ के पहले ही महीने में उस गाय के दूध से गोली लेनी होती है जिसके नीचे बछड़ा हो ......बस। अब ये तीन साल की हो गयी है,जल्द ही खुशखबरी दो मुझे और हाँ इस बार मुझे पहले ही बता देना .......तीसरे महीने पर चेक भी करा लेगे लड़का  हुआ तो ठीक ,नही तो .......। दूसरी  पोती का मुंह  नहींं देखना मुझे।

अक्सर रुचि सासु माँ की यही बातें सुनती थी .........।

रुचि ने चुपके से गुडि़़या के कान में कहा,गुडि़़़या तेरे साथ खेलने के लिये 6 महीने बाद बहन या भाई  आने वाला है।

अपनी सासु माँ से आँख बचाकर रुचि अपने मुंह पर हाथ रख बाथरूम की तरफ भागी।

गुडिया अपनी दादी को देख मुस्कुरायी और आगंन में खेलने लगी ।

अब बाथरूम से आती आवाज उसकी दादी तक नही जा रही थी....    

 ✍️ प्रीति चौधरी, गजरौला, अमरोहा

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