बहुत कुछ कहना है तुमसे
फ़ुरसत से बताना है
दिल में दबी कुछ बातों को
चुपके से सुनाना है
आँखो से निकले नहीं जो
आँसू जम गये हैं भीतर
बैठो पास तुम एक रोज़
मुझे उनको पिघलाना है
बहुत कुछ कहना है तुमसे
परतें खुलेंगी ,वो बरसों से
इंतज़ार में है एक दोस्त के
अपनी छुअन से एक रोज़
तुमको उन्हें सहलाना है
बहुत कुछ.......
अधर ये मौन रहेंगे
पर नयन तुमसे सब कहेंगे
रिक्त अंतस में एक रोज़
तुमको उतर जाना है
बहुत कुछ कहना है तुमसे
फ़ुरसत से बताना है
✍️ प्रीति चौधरी, गजरौला,अमरोहा
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