मंगलवार, 8 सितंबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा निवासी साहित्यकार प्रीति चौधरी की लघुकथा ----- गुलाबी साड़ी


गुलाबी साड़ी बहुत फबती थी माधुरी पर........जब भी वह गुलाबी साड़ी पहनती राजेश तो उन्हें ही देखते रहते।राजेश माधुरी के पति थे जो अब रिटायर हो चुके थे और पत्नी माधुरी के साथ शांताकुंज के निजनिवास में रहते थे।जिस दिन माधुरी गुलाबी साड़ी पहन लेती वह भूल जाते कि अब वह रिटायर हो चुके है ,उन्हें ऐसा लगता जैसे माधुरी नयी नवेली दुल्हन है और उन्हें वही दिन याद आ जाते जब वह माधुरी के साथ शहर में अकेले आए थे जबकि उनका बेटा अमन भी अब शिक्षा दीक्षा पूर्ण कर दिल्ली में उच्च कम्पनी में कार्यरत था और वही अपनी बीवी के साथ रहता था ।पर राजेश की दुनिया तो माधुरी में बसी थी ।कितनी सुंदर लगती हो तुम आज भी .......और गुलाबी साड़ी में तो तुम्हारा गोरा रंग ऐसे चमकता है जैसे गुलाब को दूध में भीगो दिया हो ।’इस उम्र में भी आप ......रहने दो ।पोते खिलाने की उम्र में ये बातें शोभा देती है क्या........’माधुरी पति राजेश को कहती रहती कि आपका ध्यान बस मुझपर ही रहता है।समय का लेकिन कुछ नही पता ........राजेश को दिल का दौरा पड़ा....माधुरी अकेली रह गयी ।बेटा अमन अपनी माँ को दिल्ली ले आया।अमन अपनी माँ का बहुत ध्यान रखता था ....समय गुज़रता गया ।’माँ आज शाम को मेरे दोस्त की बहन की शादी है ।सब चलेंगे आप तैयार हो जाना।’अमन कहते हुए ऑफ़िस चला गया ।’सब हो गये तैयार ,लुकिंग वेरी ब्यूटिफ़ुल डियर........’अमन ने अपनी पत्नी को देखते ही कहा।माँ ...चलो बैठो कार में ....
कार में बैठ माधुरी की आँखे भीग गयी ,वह चुपचाप अपनी हल्के रंग की गुलाबी साड़ी को देख रही थी जो
कुछ सुनने का इंतज़ार कर रही थी .........
गुलाबी साड़ी में तो तुम्हारा रंग................
पर यह कहने वाला तो बहुत दूर जा चुका था............
                                                               
✍️ प्रीति चौधरी
गजरौला ,अमरोहा

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