वो रिक्शे से कालिज के गेट के सामने उतरी ,साफ़ सुथरी पर बिलकुल सादी सी साड़ी पहने वो तेज़ी से प्रिन्सिपल ऑफ़िस की तरफ़ चल दी।व्यक्तित्व ऐसा कि किसी का ध्यान ही नही गया कि कब वो कालिज गेट से लम्बे कोरिडोर को पार करते हुए प्रिन्सिपल ऑफ़िस पहुँच गयी।कुछ ऐसा विशेष था भी नही उसमें, जो किसी का ध्यान जाता।
कक्षा दस के विद्यार्थी अपनी नयी अंग्रेज़ी की मैडम का इंतज़ार ही कर रहे थे कि वह तेज़ी से कक्षा में आयी ,बच्चे तो खड़े भी नही हुए।पता नही कौन है .........’गुड मॉर्निंग स्टूडेंट्स ,आइ एम योर इंग्लिश टीचर’।आवाज़ ऐसी कि जैसे शहद भरा हो ।बच्चे कब उस मधुर आवाज के साथ बहते चले गये उन्हें पता ही नही चला।
प्रिन्सिपल मैडम राउंड पर आयी .......जिस कक्षा से सबसे अधिक शोर की आवाज़ आती थी ,वह कक्षा मंत्रमुग्ध सी होकर नयी अंग्रेज़ी टीचर से इतना मन लगाकर पढ़ रही थी ।यह देख प्रिन्सिपल मैडम मन ही मन मुसकायी और याद करने लगी वह दिन ,जब पहली बार अंग्रेज़ी टीचर से वह साक्षात्कार के दिन मिली थी।
✍️ प्रीति चौधरी
गजरौला,अमरोहा
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