गुरुवार, 24 सितंबर 2020

मुरादाबाद मंडल के जनपद अमरोहा निवासी साहित्यकार प्रीति चौधरी की लघुकथा ------ निःशब्द अहसास


चाँद निकल आया...............

आसपास से आवाज़ आ रही थी,सब   विवाहित जोड़े पूजा करने अपनी अपनी छत पर थे।रागिनी अब भी एकटक चाँद को देख रही थी ।पहला करवाचौथ .........

शादी के जोड़े में वह दुल्हन की तरह सजी हुई राज का इंतज़ार कर रही थी ।हाथों में मेहंदी ,आँखो में काजल ,माथे की बिंदिया ,चूड़ियों की खनखन उसके मन को गुदगुदा रही थी ।आज उसने तैयार होने में कोई कसर नही छोड़ी .......

चाँद की रोशनी में रागिनी चाँद जैसी  ही लग रही थी...बहुत ख़ूबसूरत.......

चाँद को देखते हुए उसके लबों पर मुस्कराहट और आँखो में हया तैर रही थी .....

कार के हॉर्न की आवाज़ सुनते ही वह झट से नीचे आयी।राज फ़ाइल हाथ में लिए तेज़ी से कमरे की तरफ़ चले गये ।’बहुत भूख लगी है रागिनी ,खाना लगा दो ....

आज मीटिंग देर तक चली।’राज हाथ धोते धोते बता रहा था।’खाना तैयार है ,आज करवाचौथ है ,पहले चाँद को जल दे आते हैं ।’रागिनी जल्दी से लोटा लेकर छत की ओर चल दी ।

आउच...........रागिनी चिल्लायी ......

उसके पैर से ख़ून निकल रहा था .....

‘देखकर नही चल सकती तुम ।लगता है कुछ बहुत गहरा  चुभ गया है ।’राज रागिनी के पैर को देख रहा था।

‘सचमुच कुछ बहुत गहरा ही चुभा है ।’रागिनी ने मन में सोचा।

उसकी आँखो का काजल फैलता जा रहा था।

 ✍️प्रीति चौधरी

  गजरौला,अमरोहा

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