प्यार तो हो ही जाता है जैसे उसे भी हो गया था ....तभी तो जया को देखने के लिए वह कालेज के दरवाज़े पर खड़ा रहता ।जया कालेज के दरवाज़े से सहेलियों के साथ हँसती हुई निकल जाती ....और वह उसे देखता रहता। जया थी भी बहुत सुंदर....सफ़ेद बर्फ़ सी रंगत ,गहरी आँखे,लम्बे बाल .......चेहरे की मासूमियत सुंदरता में चार चाँद लगा देती।सूरत और सीरत दोनो में ही जया सबसे अलग थी।जया ने उसे कभी नही देखा पर उसका दिल तो जैसे ......जया के लिए ही धड़कता था।
जया का कालेज जब पूरा हुआ .....उसका रिश्ता एक अमीर घर में तय किया गया .....दुल्हन बनी जया ऐसी लग रही थी जैसे किसी देश की राजकुमारी हो।जो अपने राजकुमार के इंतज़ार में पलकें बिछाये है......
अरे .....बारात वापस लौट गयी ,पर क्यों........जया के पिता जी ने तो पगड़ी भी रख दीं थी कि जल्द ही दहेज की रक़म पूरी कर देंगे पर...........
इसके बाद जया तो जैसे टूट ही गयी थी .....सुंदर चेहरा मलीन होता जा रहा था..........
इस ज़माने में बुरे लोग है तो अच्छे भी है -दादी कहती जा रही थी ...जया एक बहुत अच्छे लड़के का रिश्ता आया है तेरे लिए ।लड़का इसी शहर का है ,सुना है पढ़ा हुआ भी उसी कालेज का है जिसमें तू पढ़ती थी......
उसे अंततः अपना पहला प्यार मिल ही गया।
प्रीति चौधरी
गजरौला ,अमरोहा
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