आज रोहित जल्दी कलेक्ट्रेट आ गया ,नए ज़िलाधिकारी के आगमन की तैयारी जो करनी थी ।रोहित कलेक्ट्रेट में एक सम्मानित पद पर कार्यरत था ,नए ज़िलाधिकारी के
आगमन की तैयारी वही कर रहा था ।उसने सुना था कि नए ज़िलाअधिकारी सख़्त है इसलिए वह पूरी कोशिश कर रहा था कि कोई कमी न रह जाए।
सब तैयारी हो गयी थी.........
ज़िलाधिकारी की गाड़ी कलेक्ट्रेट पर आ गयी थी ....
रोहित फूलों का बुके लेकर गाड़ी की ओर दौड़ा ।
‘योर मोस्ट वेलकम सर ’ रोहित ने कहा ।
जैसे ही उसने ज़िलाधिकारी को देखा ,उसे उनका चेहरा जाना पहचाना लगा.....
वह स्मृतियों में खो गया .....रमेश ...क्या ये रमेश है....जो सरकारी स्कूल में पढ़ता था जिसकी माँ हमारे यहाँ काम करने आती थी और जो मेरी कॉन्वेंट स्कूल की पुरानी किताब भी पढ़ने के लिए ले जाता था ......नहींं ,नहींं ....ऐसा नही हो सकता.......
अचानक उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा ,वह चौक गया। ज़िलाधिकारी महोदय.........जी... मैं वही रमेश हूँ ,रोहित जी ...सरकारी स्कूल में पढ़ने वाला .....आपकी किताब .........
कैसे है आप ,बहुत सालों बाद मुलाक़ात हुई......
रोहित अभी तक पुरानी स्मृतियों में खोया था.........
✍️ प्रीति चौधरी, गजरौला, अमरोहा
बहुत उम्दा कथानक
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
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