सन्नाटा..........दूर तक फैला था उस घर में......न पति पत्नी में नोक झोंक ,न बच्चों के खिलौने टूटने की आवाज़,बड़ें बूढ़ों के खाँसने की आवाज़ भी नही आती थी........
एक दिन चुपके से मैंने झाँक कर देखा कि उस घर में तीन लोग थे जो अपने अपने काम में व्यस्त थे ।उस घर में जो आदमी था वह लैपटॉप के सामने बैठे कोई महत्वपूर्ण गुत्थी सुलझाने में इतना व्यस्त था कि फ़ोन पर बात करते करते हुए भी लैपटॉप पर उँगलिया तेज़ी से चल रही थी।बच्चा मज़े से विडीओ गेम में दुश्मनो पर गोलियाँ दाग़ रहा था और मैडम किटी पार्टी की तैयारी में नाख़ून चमका रही थी कि तभी मैडम का फ़ोन बजा ....नेल पोलिश ख़राब होने के डर से स्पीकर पर डाल दिया ,जिससे आवाज स्पष्ट आ रही थी
‘’मैडम मैं वृद्धाश्रम से सोनू बोल रहा हूँ ।माँ, बाबू जी आप को बहुत याद करते हैं,,,,,,,।
बस फिर क्या था मुझे उस घर की शान्ति का राज समझते देर नहीं लगी।मैं चुपचाप घर आ गई और देखा कि बच्चे अपने दादा दादी के साथ खेल में व्यस्त थे।
✍️ प्रीति चौधरी
गजरौला,अमरोहा
एक दिन चुपके से मैंने झाँक कर देखा कि उस घर में तीन लोग थे जो अपने अपने काम में व्यस्त थे ।उस घर में जो आदमी था वह लैपटॉप के सामने बैठे कोई महत्वपूर्ण गुत्थी सुलझाने में इतना व्यस्त था कि फ़ोन पर बात करते करते हुए भी लैपटॉप पर उँगलिया तेज़ी से चल रही थी।बच्चा मज़े से विडीओ गेम में दुश्मनो पर गोलियाँ दाग़ रहा था और मैडम किटी पार्टी की तैयारी में नाख़ून चमका रही थी कि तभी मैडम का फ़ोन बजा ....नेल पोलिश ख़राब होने के डर से स्पीकर पर डाल दिया ,जिससे आवाज स्पष्ट आ रही थी
‘’मैडम मैं वृद्धाश्रम से सोनू बोल रहा हूँ ।माँ, बाबू जी आप को बहुत याद करते हैं,,,,,,,।
बस फिर क्या था मुझे उस घर की शान्ति का राज समझते देर नहीं लगी।मैं चुपचाप घर आ गई और देखा कि बच्चे अपने दादा दादी के साथ खेल में व्यस्त थे।
✍️ प्रीति चौधरी
गजरौला,अमरोहा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें