बुधवार, 5 अक्टूबर 2022

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार राम किशोर वर्मा के इक्कीस दोहे ....

 


राह सत्य की है कठिन, मगर चले श्रीराम ।

हुआ नहीं दूजा कभी, यों जग करे प्रणाम ।। 1।।


गुण-ही-गुण दिखते हमें, सीता जी हों राम ।

गाँठ बाँध लें एक गुण, जीवन तब अभिराम ।।2।।

  

जैसे को तैसा करें, तब होगा कल्याण ।

रावण या फिर कंस पर, बरसे यों ही बाण ।।3।।

 

दो अक्टूबर को मिले, हमको दो ही लाल ।

लाल बहादुर एक था, दूजा मोहन लाल ।।4।।

 

देवी के सम्मुख सभी, नतमस्तक हैं आज ।

कर्म सदा ऐसे करें, माता को हो नाज ।।5।।


देवी का संदेश यह, करिए मत उपहास ।

काम-क्रोध मद-लोभ का, भी रखिए उपवास ।।6।।


बल-शक्ति का हो गया, जिसको भी अभिमान।

धूल-धूसरित हो गया, निश्चित इक दिन मान ।।7।।


देवी जी आदर्श हैं, भारत माँ की मात ।

नारी का सम्मान यों, जग में अनुपम बात ।।8।।


कन्या-पूजन भी यहाँ, देता यह संदेश ।

देवी के हर रूप का, करें मान जो वेश ।।9।।

  

बड़़भागी दर्शन हुए, श्री राधे घनश्याम ।

चरण शरण में लीजिए, द्वार तुम्हारे 'राम' ।। 10।।

  

नवदेवी -आराधना, मात-शक्ति का मान ।

दया दृष्टि रखती सदा, करते जन गुणगान ।।11।।


दुष्ट दलों के नाश का, देती माँ संदेश ।

भक्त शक्ति पूजन करें, जितने उनके वेश ।। 12।।

 

देवी की आराधना, तभी सफल है जान ।

नारी का सम्मान हो, माता को दें मान ।।13।।

  

घर-बाहर या देश में, चहुंदिशि हा-हाकार ।

'शांति दिवस' संदेश है, स्वार्थ रहित व्यवहार ।।14।।


विश्व चकित हैरान है, भारत-गतिविधि देख ।

नित्य खींचता यह नयी, सबसे लम्बी रेख ।।15।।

 

राम-नाम जीवन-मरण, यह जीवन-आधार ।

मुक्त होय संसार से, मिलता हरि का द्वार ।।16।।


बाल रूप में कृष्ण को, माता रहीं दुलार ।

इससे वह अनभिज्ञ हैं, यह जग- तारणहार ।।17।।


एक हाथ तलवार हो, दूजे में यदि ढाल ।

आँख उठा सकता नहीं, हो कोई भी लाल ।।18।।

  

तिरंगा न झुकने दिया, दे दी अपनी जान ।

ओढ़ तिरंगे का कफन, और बढ़ा दी शान ।।19।।


रूप बदल ले चीज जो, गुण रसायनिक जान ।

चीनी पानी में विलय, ऐसे ही सब मान ।।20।।


बदल सके नहिँ रूप को, गुण भौतिक यह जान ।।

दही बने जब दूध से, दही यही गुण मान ।। 21।।

  

✍️ राम किशोर वर्मा

रामपुर 

उत्तर प्रदेश, भारत

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