राह सत्य की है कठिन, मगर चले श्रीराम ।
हुआ नहीं दूजा कभी, यों जग करे प्रणाम ।। 1।।
गुण-ही-गुण दिखते हमें, सीता जी हों राम ।
गाँठ बाँध लें एक गुण, जीवन तब अभिराम ।।2।।
जैसे को तैसा करें, तब होगा कल्याण ।
रावण या फिर कंस पर, बरसे यों ही बाण ।।3।।
दो अक्टूबर को मिले, हमको दो ही लाल ।
लाल बहादुर एक था, दूजा मोहन लाल ।।4।।
देवी के सम्मुख सभी, नतमस्तक हैं आज ।
कर्म सदा ऐसे करें, माता को हो नाज ।।5।।
देवी का संदेश यह, करिए मत उपहास ।
काम-क्रोध मद-लोभ का, भी रखिए उपवास ।।6।।
बल-शक्ति का हो गया, जिसको भी अभिमान।
धूल-धूसरित हो गया, निश्चित इक दिन मान ।।7।।
देवी जी आदर्श हैं, भारत माँ की मात ।
नारी का सम्मान यों, जग में अनुपम बात ।।8।।
कन्या-पूजन भी यहाँ, देता यह संदेश ।
देवी के हर रूप का, करें मान जो वेश ।।9।।
बड़़भागी दर्शन हुए, श्री राधे घनश्याम ।
चरण शरण में लीजिए, द्वार तुम्हारे 'राम' ।। 10।।
नवदेवी -आराधना, मात-शक्ति का मान ।
दया दृष्टि रखती सदा, करते जन गुणगान ।।11।।
दुष्ट दलों के नाश का, देती माँ संदेश ।
भक्त शक्ति पूजन करें, जितने उनके वेश ।। 12।।
देवी की आराधना, तभी सफल है जान ।
नारी का सम्मान हो, माता को दें मान ।।13।।
घर-बाहर या देश में, चहुंदिशि हा-हाकार ।
'शांति दिवस' संदेश है, स्वार्थ रहित व्यवहार ।।14।।
विश्व चकित हैरान है, भारत-गतिविधि देख ।
नित्य खींचता यह नयी, सबसे लम्बी रेख ।।15।।
राम-नाम जीवन-मरण, यह जीवन-आधार ।
मुक्त होय संसार से, मिलता हरि का द्वार ।।16।।
बाल रूप में कृष्ण को, माता रहीं दुलार ।
इससे वह अनभिज्ञ हैं, यह जग- तारणहार ।।17।।
एक हाथ तलवार हो, दूजे में यदि ढाल ।
आँख उठा सकता नहीं, हो कोई भी लाल ।।18।।
तिरंगा न झुकने दिया, दे दी अपनी जान ।
ओढ़ तिरंगे का कफन, और बढ़ा दी शान ।।19।।
रूप बदल ले चीज जो, गुण रसायनिक जान ।
चीनी पानी में विलय, ऐसे ही सब मान ।।20।।
बदल सके नहिँ रूप को, गुण भौतिक यह जान ।।
दही बने जब दूध से, दही यही गुण मान ।। 21।।
✍️ राम किशोर वर्मा
रामपुर
उत्तर प्रदेश, भारत
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें