रविवार, 12 सितंबर 2021

मुरादाबाद की संस्था आदर्श कला संगम ने रविवार 12 सितम्बर को किया कवि मयंक शर्मा को पंडित वाचस्पति शर्मा स्मृति सम्मान से सम्मानित, आयोजित हुई काव्य गोष्ठी

  मुरादाबाद की सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्था आदर्श कला संगम की ओर से हिन्दी पखवाड़े पर एक काव्य-गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन दिव्य सरस्वती इंटर कॉलेज के सभागार में किया गया। वरिष्ठ कवयित्री डाॅ. प्रेमवती उपाध्याय द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वप्रसिद्ध नवगीतकार  माहेश्वर तिवारी ने की। मुख्य अतिथि डाॅ. के. के. मिश्रा एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध रंगकर्मी श्री राजेश रस्तोगी व डाॅ. प्रदीप शर्मा मंचासीन रहे। संचालन सुप्रसिद्ध नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने किया। कार्यक्रम में महानगर के उभरते हुए रचनाकार मयंक शर्मा को पंडित वाचस्पति शर्मा स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। सम्मान समारोह के पश्चात् एक शानदार काव्य-संध्या का भी आयोजन किया गया जिसमें महानगर के रचनाकारों ने अपनी-अपनी प्रस्तुति दी।

यश भारती माहेश्वर तिवारी की अभिव्यक्ति कुछ इस प्रकार थी -
कभी-कभी मेरे भीतर,
जंगल उग आता है।
खरगोशों-सा मन,
घासों के संग बतियाता है।
सहसा नायक बन जाते हम,
परी कथाओं के।
सपनों के संग जुगनू
उड़ते हैं संग हवाओं के।

सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार डॉ मक्खन मुरादाबादी ने कुछ इस प्रकार अन्तस को झिंझोड़ा -
वह सबको खुश रखती थी
खुश ही रहती थी,
एक नदी, बहती थी,
अब नहीं बहती।

वीरेन्द्र ब्रजवासी ने गीत की तान इस प्रकार छेड़ी -
तन वैरागी मन वैरागी, जीवन का हर क्षण वैरागी।
डाॅ. प्रेमवती उपाध्याय ने गीत की मिठास में इस प्रकार सभी को डुबोया - 
बिना ज्ञान के मोहपाश में जकड़ा जीता है।
भरा हुआ घर बार मगर अंतरघट रीता है।।

डाॅ. मनोज रस्तोगी के पैने व्यंग्य इस प्रकार थे -
सुन रहे यह साल आदमखोर है।
हर तरफ चीख, दहशत, शोर है।
मत कहो यह वायरस ज़हरीला बहुत, आदमी ही आजकल कमज़ोर है।

योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने आम व्यक्ति की वेदना को इस प्रकार साकार किया - 
भूख मिली थी कल रस्ते में
बता रही थी हाल।
पतली-सी रस्सी पर
नट के करतब दिखा रही
पीठ-पेट को ज्यों रोटी का मतलब सिखा रही।
हैं उसकी आँखों में लेकिन,
ज़िन्दा कई सवाल।

राजीव 'प्रखर' ने हिन्दी को नमन करते हुए कहा -
चाहे जो भी धर्म हो, चाहे जो परिवेश।
हिन्दी से ही एक है, अपना भारत देश।। 
मानो मुझको मिल गये, सारे तीरथ धाम।
जब हिन्दी में लिख दिया, मैंने अपना नाम।।

मनोज वर्मा 'मनु' की अभिव्यक्ति कुछ इस प्रकार रही -
हिन्दी के हित के लिये, पखवाड़ा पर्याप्त।
फिर दिन साढ़े तीन सौ, घुट अंधियारा व्याप्त।।

युवा कवि मयंक शर्मा ने गीत सुनाया- 
जन्म सार्थक हो धरा पर, स्वप्न हर साकार हो। 
हम चलें कर्तव्य पथ पर, और जय जयकार हो।
कार्यक्रम में डॉ. प्रदीप शर्मा, अनिल कुमार शर्मा, सतीश कुमार, राजदीप शर्मा, सुशील शर्मा, सुमित श्रीवास्तव, संजय स्वामी श्रीराम शर्मा, घनश्यामदास, अनिल शर्मा आदि उपस्थित रहे । 























::::::::प्रस्तुति:::::::
डॉ. प्रदीप शर्मा
सचिव, आदर्श कला संगम
मुरादाबाद,उत्तर प्रदेश, भारत

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