शुक्रवार, 3 सितंबर 2021

मुरादाबाद मंडल के नजीबाबाद (जनपद बिजनौर) की साहित्यकार दीपिका महेश्वरी सुमन का गीत ----अधरों को अधरों से अब तुम, करने दो मीठी सी बातें


 अधरों को अधरों से अब तुम, करने दो मीठी सी बातें।

तुमने जो कभी दीं थीं मुझको, मिट जाएंगी वो सब घातें॥

मधुर प्रेम का बन्धन जो है, अब भी घुँघरू से छनकाता।

मन ही मन तुमसे वो अपना, चुपके से बन्धन है निभाता ॥

रात चाँदनी ओढ़ के बोले क्यों  गुज़ारे अँखियो में रैना।

प्रेम परिधि नयनों में धरकर, मूँद ले तू चुपके से नैना॥

प्रयत्न करूँ पर बंद न होवे, नैनों में जो तुम ही बसे हो।

मोहनी मूरत मुझे दिखा कर, मोह बंधन में मुझे कसे हो॥

निकलना चाहूं निकल न पाऊं, मोह बंधन यह गहरा है। 

उम्मीदों का लश्कर देखो, अब भी मन में ठहरा है॥

आज मुझे तुम आकर दे दो, फिर वही मीठी सौगातें।

तुमने जो कभी दी थी मुझको, मिट जाएंगी वो सब घातें ॥

अधरों को अधरों से.......

दिन ढले नहीं ढल पाता है, मुझ पर यादों का साया है। 

सावन का ये मौसम जाने, कैसी बेचैनी लाया है॥

तड़प तड़प के जब श्वास है आती, मुझको तेरी याद सताती।

ठंडी पवन भी छू कर मुझको, तुमसे मिलन की आस जगाती॥

झर झर झर बहते हैं आँसू, नैना विहल हो जाते हैं। 

देख सुहानी यादों का डोला, अधर कमल मुस्काते हैं॥

साथ यह तेरा कभी न छूटे, चाहे कितनी भी हो दूरी। 

यादों में तुमको जीते हैं, मिलन नहीं अपनी मजबूरी॥

ग़म में भी खुशियों की फुहारें, दे जाती मीठी सौगातें। 

तुमने जो कभी दीं थीं मुझको, मिट जाएंगी वो सब घातें ॥

अधरों को अधरों से... 

✍️ दीपिका महेश्वरी सुमन (अहंकारा), नजीबाबाद बिजनौर ,उत्तर प्रदेश, भारत

2 टिप्‍पणियां:

  1. साहित्यिक मुरादाबाद ब्लॉग पर मेरे गीत प्रकाशित करने के लिए आदरणीय डॉ मनोज रस्तोगी जी का हार्दिक अभिनंदन आपकी मेहनत लाज़वाब है.. प्रेरित करती है

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