शुक्रवार, 3 दिसंबर 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार राहुल शर्मा की ग़ज़ल --- मैं ऐसी गांठ हूं जो धीरे धीरे धीरे खुलती है , तुम्हारी अंगुलियों को सब्र ही करना नहीं आता...

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