गुरुवार, 2 दिसंबर 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष प्रो.महेन्द्र प्रताप का गीत - गूंजती प्रतिध्वनि तुम्हारे गीत की ....यह गीत लगभग 62 वर्ष पूर्व प्रकाशित हुआ है केजीके महाविद्यालय की वार्षिक पत्रिका 1959-60 में ।


 


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