सोमवार, 6 दिसंबर 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार (वर्तमान में मुम्बई निवासी ) प्रदीप गुप्ता की कविता..... शोक गीत

 


शोक गीत महज  गीत नहीं होते 

उनमें अपने किसी बहुत ख़ास के लिए 

कोई उड़ेल देता है 

अपना ढेर सारा प्यार , सम्मान और आदर.

वे अमूमन गाए नहीं जाते 

वे पुष्पांजलि की तरह से 

हवा में तैरते रहते  हैं 

कभी भी आ के दिल के किसी कोने को छू कर

ख़लिश छोड़ देते हैं 

कई बार तो आप उनका स्पंदन

सुबह - शाम,  उठते - बैठते 

महसूस कर कर सकते हैं 

सालों साल तक . 

कोई शख़्स आज ही दुनिया छोड़  कर गया है 

मीडिया भरा पड़ा है उसके बारे में 

बहुत कुछ लिखा गया है 

लेकिन ज़्यादातर बनावटी है 

इशारों इशारों में बहुतों ने उसके साथ 

कोई न कोई सम्बन्ध जोड़ने की कोशिश है

लेकिन साथ ही एक स्पष्टीकरण भी 

कि सत्ता के खिलाफ उसके बोलने को 

उन्होंने कभी पसंद नहीं किया 

यह सब इसलिए कि जब दूसरे मलाई के लिए 

रंग बदल कर सत्ता के साथ हो लिए 

वो डटा रहा सच दिखने के लिए

बेख़ौफ़ और बेझिझक

सत्ता ही नहीं अपनी बिरादरी को भी आइना दिखाता रहा 

इसीलिए उनके स्पष्टीकरण में  कुछ ऐसा भाव है कि 

अगर वो अपने मूल्यों से समझौता कर लेता 

अपने शब्दों में छुपे सच को चासनी में डुबो देता 

या फिर छुपा देता वाक् जाल में 

तो उसके इस तरह चले जाने पर 

वे भी एक शोक गीत लिख देते  .

आख़िर हम क्यों बाँट देते हैं  

व्यक्तियों को सर्वथा विपरीत दो  ध्रुवों में 

फिर एक ही रास्ता बचता है 

या तो हम उसके चाहने वाले हों 

या फिर धुर आलोचक . 

इस सब के बीच जो चला गया उसकी याद 

एक गीत बनके तैरती रहेगी 

उसके लिए कोई शोक गीत लिख कर 

जाने वाले के कद को छोटा मत करना .


✍️प्रदीप गुप्ता 

B-1006 Mantri Serene, Mantri Park, Film City Road , Mumbai 400065    

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