राम कृष्ण के देश में, रामायण कमजोर।
अपराधी चौपाइयां, चोर मचाएँ शोर।। 1।।
पहले ओछी बात पर,देते थे मुंहतोड़।
राजा अब डरने लगे, या है कुछ गठजोड़।।2।।
जाति-धर्म के नाम पर, जिन्हें चाहिए वोट।
सीधी सच्ची बात में, दिखता उनको खोट।।3।।
तुलसी बाबा की करें, जो जन नीची बात।
जनमानस की आस्था, को देते आघात।।4।।
नेत्रहीन सत्ता हुई, दरबारी सब मौन।
मानस के अपमान का, बदला लेगा कौन।।5।।
कृष्णम् भारतवर्ष में, कैसा आया वक्त।
जलती मानस और चुप, रामचंद्र के भक्त।।6।।
✍️ त्यागी अशोका कृष्णम्
कुरकावली, संभल
उत्तर प्रदेश, भारत
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