रविवार, 26 फ़रवरी 2023

मुरादाबाद मंडल के जनपद संभल (वर्तमान में मेरठ निवासी)के साहित्यकार सूर्यकांत द्विवेदी का गीत .....कायर हो गई भावना


जब से सीखी इन हाथों ने, करनी याचना 

सच मानो, तभी से कायर हो गईं भावना। 


दरवाज़े दस्तक को भूले, अतिथि मौन खड़े 

हम न जावें कोई न आवे विकट भाव  अड़े 

मृगतृष्णा जब हो चौखट, कौन कहे देवो 

उखड़ उखड़ कर ढूंढे सांसे कौन है मेरो 


जब से छोड़ी इन कानों ने, सुननी प्रार्थना 

सच मानो, तभी से कायर हो गई भावना 


अब तो आदत पड़ चुकी यहाँ, क़र्ज़ लेने की 

ख़्वाहिशों के घर बिस्तर, बस फ़र्ज़ निभाने की 

कांपे रूह देख देख कर, अपने रोशनदान 

काँच काँच बिखरा है भू पर, अक्स हिंदुस्तान 


जब से भूली इन आँखों ने, करनी साधना 

सच मानो, तभी से कायर हो गई भावना।। 


एक कटोरी चीनी-पत्ती,  घंटों फिर बातें 

ले आंखों  में चित्रहार, कट जाती थीं  रातें 

बुनें स्वेटर, डालें फंदे,   भूल गये धागे 

कैसी दौड़ इस जीवन की, सब के सब भागे 


जब से भोगी इस बस्ती ने, सहनी यातना

सच मानो, तभी से कायर, हो गई भावना


✍️ सूर्यकान्त द्विवेदी

मेरठ

उत्तर प्रदेश, भारत

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