शनिवार, 4 फ़रवरी 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की व्यंग्य कविता ....मैं केवल देखता हूं



कोई क्रिया,प्रतिक्रिया नही

केवल देखता हूं

जी हां, मैं केवल देखता हूं


घोटालों के पहाड़ को

भ्रष्टाचार के ताल को

प्रदूषण के दानव को

मिलावट के जाल को

केवल देखता हूं

जी हां, मैं केवल देखता हूं


चढ़ती हुई महंगाई को

भुखमरी को, बेकारी को

शिक्षा के अभाव को

बढ़ती बेरोजगारी को

केवल देखता हूं

जी हां, मैं केवल देखता हूं


हिंसा को,अराजकता को

धार्मिक उन्माद को

चरित्र के पतन को

आतंक को,उग्रवाद को

केवल देखता हूं

जी हां, मैं केवल देखता हूं


गीता का ज्ञान

मेरे भीतर समाया है

भगवान श्रीकृष्ण ने

अर्जुन को समझाया है

कोई भी घटना हो

साक्षी भाव में रहना है

भावुकता में

बिल्कुल नही बहना है

मैं इसी सिद्धांत को

अपना माथा टेकता हूं

और हर घटना को

केवल देखता हूं

जी हां, मैं केवल देखता हूं


✍️डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

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