मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम की मासिक काव्य गोष्ठी पांच फरवरी 2023 को मिलन विहार स्थित आकांक्षा विद्यापीठ इंटर कॉलेज में हुई।
राजीव प्रखर द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि ओंकार सिंह ओंकार ने कहा ....
सबके सुख की करे कामना,
कितनी प्यारी होती माॅं।
खुद कम खाकर हमें खिलाती,
सबसे न्यारी होती माॅं।
मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवयित्री डॉ. पूनम बंसल ने अपने मनोभावों को मुक्तक में उकेरा -
आस की सांझ में स्वप्न पलने लगे,
प्रीत की याद के रंग मलने लगे।
हार ही जीत की जब सहेली बनी,
हौंसले देखिए साथ चलने लगे।
विशिष्ट अतिथि के रूप में रामेश्वर वशिष्ठ ने कहा -
तुम निराशा दो मुझे विश्वास लेकर क्या करूंगा।
जब दीप ही मेरा नहीं, प्रकाश लेकर क्या करूंगा।
वरिष्ठ साहित्यकार रामदत्त द्विवेदी की अभिव्यक्ति थी -
घर में दीवार बना ली नहीं, यह ठीक किया।
अपनी पहचान छुपा ली नहीं, यह ठीक किया।
श्रीकृष्ण शुक्ल ने हास्य-व्यंग्य की फुहार छोड़ी -
अश्रु आँखों में छिपाना सीख लो I
तुम अकारण मुस्कुराना सीख लो II
रूठने से बात बिगड़ी है सदा,
आप रूठे को मनाना सीख लो ।।
डॉ. मनोज रस्तोगी ने व्यंग्य का रंग बिखेरा -
बीत गए कितने ही वर्ष ,
हाथों में लिए डिग्रियां
कितनी ही बार जलीं
आशाओं की अर्थियां
आवेदन पत्र अब लगते
तेज कटारों से।
राजीव प्रखर की अभिव्यक्ति थी -
हो इसकी उन्नति में मित्रो, जन-जन का अवदान।
चलो बनाएं सपनों जैसा, प्यारा हिन्दुस्तान।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए जितेन्द्र जौली ने व्यंग्य के तीर छोड़े -
महज दिखावा लग रही, हमें आयकर छूट।
सात लाख तक छूट है, उससे ऊपर लूट।।
नकुल त्यागी ने कहा -
दरअसल मेरे पति ही पगले हैं
एक बार दस के नोटों के पैकेट में
दस के एक सौ एक नोट निकले हैं।
अंत में ओंकार सिंह ओंकार जी की माताजी के निधन पर दो मिनट का मौन रखते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। संस्था अध्यक्ष रामदत्त द्विवेदी द्वारा आभार-अभिव्यक्त किया गया ।
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