सोमवार, 21 मार्च 2022

मुरादाबाद मंडल के जनपद सम्भल निवासी साहित्यकार अतुल कुमार शर्मा की रचना---कविता कभी नहीं मरती


धरने पर बैठे किसानों के तंबुओं की तरह,

नहीं होती हैं कविताएं,

कि सरकार की सख्ती और हठधर्मिता के सामने,

यूं ही उखड़ जाएं।

या फिर तूफानों में उजड़ जाएं,

जंगलों की तरह,

या जल जाएं,

घास-फूस के छप्परों सी,

घुल जाएं जहरीली हवा में,

या दब जाएं ऑफिस की फाइलों सी।

मिल जाए जैसे दूध में पानी,

और कोहरे में छिप जाए,

सूरज की तरह,

कविता कविता है,

जो कभी नहीं मरती,

दिलों पर करती है राज,

एक रानी की तरह।

कविता की कीमत, 

कीमती आदमी ही जानता है,

उस की आन-बान-शान को पहचानता है,

संस्कृति से इसका अटूट नाता है,

कविता किसी सभ्य समाज की निर्माता है।

कविता को विचारों का भूखंड चाहिए,

भाव रूपी ईटों की मजबूती चाहिए,

हो समस्या की सरियों का जाल,

कुंठा को तोड़ने वाली,

ऐसी रेती चाहिए।

फिर लगाकर सहानुभूति का सीमेंट,

मिटाया जाता है,

खुरदुरेपन का एहसास,

डाल दी जाती है, संस्कारों की छत,

और पहना दिया जाता है प्यारा-सा लिबास।

करके दुनिया का श्रंगार फिर,

दीनता का समाधान बन जाती है कविता,

और पहन संस्कृति का परिधान,

हर समस्या का निदान बन जाती है कविता।


✍️ अतुल कुमार शर्मा

 सम्भल

उत्तर प्रदेश, भारत

 मोबाइल-8273011742

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