मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी साहित्य संगम के तत्वावधान में मिलन विहार स्थित मिलन धर्मशाला में रविवार 6 मार्च 2022 को काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
कवि राजीव प्रखर द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरम्भ हुए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रामदत्त द्विवेदी ने कहा ---
रात दिवस ढूंढा तुम्हें पर ना पाया पार हे प्रभु जी
मुख्य अतिथि ओंकार सिंह ओंकार ने कहा ---
ओंकार नफरत को मुहब्बत में बदलले नहीं देते हैं
कौन जो दुनिया को संभलने नहीं देते।
लोगों ने बिछाए हैं हर इक राह में कांटे
बेखोघ्फ मुसाफिर को जो चलने नहीं देते।
विशिष्ट अतिथि के रुप में केपी सिंह सरल ने कहा कि
नहीं जवानी रहे सर्वदा, यह तो ढलती जाती है।
जैसे बहती बर्फ नदी में तिल तिल घुलती जाती है।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मनोज रस्तोगी ने कहा ---
गोलों के बीच,
तोपों के बीच
घुटता है दम,
अब बारूदी झौंकों के बीच।
चर्चित नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने कहा --
राजनीति में देखकर, छलछंदों की रीत।
कुर्सी भी लिखने लगी अवसरवादी गीत ||
सजा हुआ है आजकल, वादों का बाजार
सौदागर करने लगे, सपनों का व्यापार ।।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए राजीव प्रखर ने कहा ---
फांसे बैठा है मुझे यह माया का जाल
चावल मुझसे छीन लो, आकर अब गोपाल।
दफ्तर अपना धूप ने, पुन: दिया जब खोल ।
चण्ट कुहासा हो गया, आंख बचाकर गोल ॥
कवयित्री मीनाक्षी ठाकुर ने कहा ---
लगे बदलने केंचुली फिर जहरीले नाग
चमचों ने सिलवा लिए सब रंगों के सूट
चढ़ती हांडी देखकर दावत लेंगे लूट
युवा कवि जितेन्द्र कुमार जौली ने कहा ---
चाहे एक खरीदिये, चाहें लीजै डिग्री
अब यूँ बिक रही, ज्यों सब्जी बाजार ॥
युवा कवि प्रशान्त मिश्र का कहना था ---
जिन्दगी एक शाम बन जाती हैं
जो सवेरा होने के इन्तजार में ढलती जाती हैं।
कवि नकुल त्यागी ने कहा ---
अतीत कितना भी सुन्दर हो वर्तमान बन नहीं सकता
मधुर कितना भी स्वप्न हो यथार्थ बन नहीं सकता।
कवयित्री इन्दु रानी का कहना था ----
गौरा पलकें खोलती, बोली भरकर शान ।
शिव जी की बारात में ही मेरा सम्मान ।
संस्था के महासचिव जितेन्द्र कुमार जौली ने आभार व्यक्त किया।
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