राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति मुरादाबाद द्वारा मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन जंभेश्वर धर्मशाला मुरादाबाद में सोमवार 14 मार्च 2022 को संरक्षक योगेंद्र पाल सिंह विश्नोई के संयोजन में संपन्न हुआ।
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ ने कहा --
किसी ने पाती लिख दी मौसम के नाम
मतवारे टेसू ने घोला कैसा मतवारा रंग
लग रहा सारा उपवन सुलग उठा अंग अंग
मुख्य अतिथि वीरेंद्र सिंह ब्रजवासी ने कहा ---
दानवता की भोर हो गई मानवता की शाम हो गई।
मन को अधिक रुलाने वाली, मानव की पहचान हो गई।
विशिष्ट अतिथि डॉ महेश दिवाकर ने कहा ----
राजनीति का विषय काल है
नेताओं का इंद्रजाल है।
आजादी अब सिसक रही है
भारत मां का झुका भाल है।
विशिष्ट अतिथि डॉ मनोज रस्तोगी ने कहा ---
होली के पावन पर्व पर
आओ सब मिल गीत गाये
भेदभाव और छुआछूत भूल
एक सूत्र में सब बंध जाए।
संचालन करते हुए अशोक विद्रोही ने कहा----
होली तो है देश के, त्योहारों की जान
रंग डालो एक रंग में, पूरा हिंदुस्तान।
कवयित्री हेमा तिवारी भट्ट ने कहा ---
पतझड़ का पीलापन सोखें,
हरियाली की शाख बढ़ाएँ।
दिन के उजलेपन में शामिल,
स्याह रात के दाग़ मिटाएँ।
रखे रहें न केवल कर में,
मन के तन पर रच बस जाएँ।
रंग जो जल से कभी धुले न,
आओ ऐसे रंग लगाएँ।
रामसिंह निशंक ने कहा --
आई है होली आई है होली
युवकों को मस्ती छाई है।
बच्चों को होली भाई है।
बूढ़े मस्ती में नाच उठे,
भंग की पीकर ठंडाई है।
राजीव प्रखर ने कहा -----
आहत बरसों से पड़ा, रंगों में अनुराग।
आओ टेसू लौट कर, बुला रहा है फाग।।
रघुराज सिंह निश्चल ने कहा -
बसंती वातावरण, है हर ओर हुलास।
होली का त्यौहार है, रहना नहीं उदास।।
योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई ने कहा ---
सादगी से सोचिए,हल बहुत आसान है।
जीवन हजारों जन्म के पुण्य का वरदान है।।
इन्दु रानी ने कहा ---
होली में लिख डारे मन ने गीत नए हैं साथिया,
आस मिलन की जगी है मन में रीत नए हैं साथिया।
गोष्ठी में रमेश चंद गुप्त भी उपस्थित रहे।
:::::::प्रस्तुति :;;::;;
अशोक विद्रोही
उपाध्यक्ष
राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति
मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
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