गुरुवार, 17 मार्च 2022

आज धरती से गगन तक है रँगा ....कह रहे हैं मुरादाबाद के साहित्यकार ओंकार सिंह ओंकार

 


आज धरती से  गगन  तक है रँगा ,

वस्त्र क्या तन  और मन तक है रँगा !


रात रंगों की हुई बरसात है ,

और रंगों से रँगा हर गात है ,

रंग का उत्सव मनाने के लिए

रात ने अंतिम चरण तक है रँगा !!


पीत सरसों ने बजाई दुंद्वभी ,

खिल उठे हैं विविध रँग के फूल भी 

विविध रंगों से सकल बसुधा सजी

देखिए वातावरण तक है रँगा !!


प्रेम जीवन में सभी के हम भरें ,

प्रेममय संपूर्ण मानवता करें,

प्रेममय जग को बनाने के लिए

इस धरा ने आचरण तक है रँगा !!


✍️ ओंकार सिंह 'ओंकार'

1-बी-241 बुद्धि विहार , मझोला ,

मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश ) 244103

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें